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आचा०
૧૮દ્રા
KOSTOGOST5650-499X
सूत्र कहे छे. ते भावभिक्षु तेवी औषधिने असंपूर्ण टुकडा थएली अने अचित्त थयेली विनष्टयोनिवाळी दाळ बनावेली कंदली करेली तथा फळी अचित्त थयेली अने भांगेली होय अने ते मासुक अने एपणीय (लेवायोग्य) होय अने गृहस्थ आपे तो कारण होय तो सूत्रम् साधु तेने ले, लेवायोग्य अनें न लेवा योग्यना अधिकारवाळा आहार विशेषमुंज कहे छे:
| i૮૬૮ से भिक्खू वा० जाव समाणे से जं पुण जाणिज्जा-पिहुयं वा बहुरयं वा भुंजियं वा मंथु वा चाउलं वा चाउलपलंबं वा सइ संभज्जियं अफासुयं जाव नो पडिगाहिज्जा ।। से भिक्खू वा० जाव समाणे से जं पुण जाणिज्जा-पिहुयं
वा जाव चाउलपलंबं वा असई भजियं दुक्खुतो वा तिक्खुत्तो वा भज्जियं फासुयं एसणिज्जं जाव पडिगाहिज्जा।[मृ०३]
ते भावभिक्षु गृहस्थने घेर गयेलो पृथुक शाली तथा वरीने शेकीने धाणी बनावे, तेमां तुप विगेरेनी बहु रज होय, तथा घउं| विगेरेने भुंजेला (अडधा शेकेला) होय एटले एक वाजुथी के छेडा नरफथी शेक्या होय, अथवा तल, घउं विगेरे शेक्या होय || तथा घर विगेरे चूर्ण बनावी शेकेल होय अथवा शालीत्रीहीना तांदळा, अथवा तेनीज कणकी (चाउल पलंब) होय आq कोइपण जातनुं अनाज विगेरे एकवार थोडु शेक्युं होय, थोडं बीजा शस्त्रवडे मरडेलुं कुटेलं होय पण ते जो अमासुक अने अनेषणीय पोते BI मानतो होय तो तेवू अन्न ले नहि एथी विपरीत होय तो ते लेवु एटले अग्नि विगेरेथी वारंवार शेक्यु होय, अथवा पूरेपुरुं कुटयु | होय, अने अधकाचु विगेरे दोषवाळु नहोय; अने मासुक होय तेवी खात्री थाय तो लाभ थतां जरुर होय तो साधु ग्रहण करे.
हवे गृहस्थना घरमा पेसवानी विधि कहेछे.से भिक्खू वा भिक्खुणी वा गाहावइकुलं जाव पविसिउकामे नो अन्नउथिएण वा गारथिएण वा परिहारिआ