________________
आचा०
॥८२४॥
परिज्ञा नामना पहेला भागमां ( ) पाने छे. त्यांची समजवं. अपकाय पण सूक्ष्म चादर चे भेदे छे. तेमां सूक्ष्म सर्वत्र छे. पण बादर अग्नि अङ्गारा विगेरे पांच भेदे छे.
सूत्रम् वायुनुं पण तेमज छे. फक्त वादर वायु काय उत्कालिक विगेरे पांच भेदे छे. वनस्पति पण सूक्ष्म वादर बे भेदे छे. सूक्ष्म | सर्वत्र छे. अने वादर अग्र मूळ स्कंध पर्व वीज संमूर्छन एम सामान्यथी छ भेदे छे..
11८२४॥ वळी ते दरेक प्रत्येक अने साधारण एम वे भेदे छे. प्रत्येक वृक्ष गुच्छा वगेरे वार भेदे छे. अने साधारण तो अनेक प्रकारे छे. ते अनेक भेदवाळो छतां वनस्पतिकाय सूक्ष्म सर्वगत होवाथी अने अतींद्रिय होवाथी तेने छोडीने फक्त भेदोमां वादरकाय
लीधो छे ते बतावे छे. पनक लेवाथी वीज अंकुर भाव रहित पनक विगेरे उल विगेरे अनंत काय लेवा अने बीजना ग्रहणथी अग्र 8 बीज विगेरे लेवां हरित शब्दथी वीजा भेद लेवा (१२) आ प्रमाणे पृथ्वी विगेरे भूतो छे. एम जाणीने तथा ते चेतनावाला छे एम
जाणीने भगवान महावीर तेमनो आरंभ छोडीने विचर्या पृथ्वीकाय विगेरे जंतुना त्रस स्थावरपणे भेदो बतावीने हवे एमनामां परस्पर अनुगम पण छे, ते बतावे छे. (१३) स्थावर ते पृथ्वी पाणी अग्नि वायु बनस्पति छे. ते त्रसपणे एटले बेइंद्रिय विगेरे कर्म वशथी जाय छे. अने त्रस जीवो कृमि विगेरे पृथ्वी विगेरेमा कर्मने लीधे जाय छे. ते प्रमाणे वीजे पण का छे.
" अयण्णं भन्ते ! जीवे पूढविकाइयत्ताए जाव तसकाइयत्ताए उववण्णपुवे ?, हंता गोअमा ! असई अदुवा
ऽणंतखुत्तो जाव उववण्ण पुन्वे" त्ति गौतमनो प्र०-हे भगवान ! आ जीव पृथ्वी काय पणेथी लइ त्रसकायपणे पूर्व उत्पन्न थयेल छे ?