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SONGS
आचा०
सूत्रम्
॥२६५॥
ACEASA SASA
चारित्रमोहनीय सोळ कषाय, नव नोकपाय एम पच्चीस प्रकारे छे. अहींयां पण मिथ्यात्व, मोहनीय, तथा संज्वलन कपाय छोडीने वार कपायो सर्वघाति छे, अने वाकीना देशघाति छे.
आयुष्यकर्म चार प्रकारे छे. ते नारकादि भेदवाळां छे. नामकर्म बेताळीस भेदे छे, तेमां गति विगेरे भेद छे. वाळी उत्तर प्रकृतिथी ताणुं (९३) भेद छे, तेनो खुलासो कहे छे. गति नारक; विगेरे चार भेदे छे. जाति एकेन्द्रिय विगेरे पांच छे. शरीरो /॥२६५॥ औदारिक विगेरे पांच छे. औदारिक वैक्रिय, अने आहारक. एम त्रण शरीरनां अंगोपांग त्रण छे.
निर्माणनाम सर्वजीव शरीरनां अवयवतुं निष्पादक ( बनावनार) होवाथी एक प्रकारे छे.
बंधननाम औदारिक विगेरे कर्मवर्गणार्नु एकपणुं करनार पांच प्रकारे छे, तथ संघातनाम औदारिक विगेरे कमवणानी र-15 चना विशेपकरीने स्थापनार ते पांच प्रकारे छे. संस्थाननाम समचतुरस्र (बधी बाजु सरखं ) विगेरे छ प्रकारे छे.
संहनननाम वजरुपभनाराच विगेरे छ प्रकारे छे.स्पर्श आठ प्रकारे छे.रस पांच प्रकारे छे. गंध चे प्रकारे छे अने वर्ण पांच प्रकारे ठे' अनुपूर्वी नारक विगेरे चार प्रकारे छे.
विहायोगति प्रशस्त तथा अप्रशस्त एम बे भेदे छे. अगुरुलधु उपघात पराघात आतप उद्योत उच्छवास प्रत्येक साधारण त्रस स्थावर शुभ अशुभ सुभग दुर्भग सुस्वर दुःस्वर सूक्ष्म वादर पर्याप्तक अपर्याप्तक स्थिर अस्थिर आदेय अनादेय यश कीर्ति अयश कीर्ति तीर्थकरनाम आ बधी प्रकृतिओ दरेक एकज प्रकारनी छे (आनु वधारे वर्णन पहेला कर्म ग्रंथमा नाम कर्मनी प्रकृतिमांजुओ)
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