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सूत्रम्
॥५२४॥
अमारा धर्मना नायको, (तीर्थकरो) शास्त्र रचनाराए साक्षात् जोयुं छे. अथवा, अमारा मोटा गुरु पासेथी अमे तथा अमारा वडगुरु आचा० पासेथी गुरुए सांभळ्युं छे. अथवा ते धर्मनायकनी पासे सेवामा रहेनारा शिष्योए एम मान्युं छे. अथवा तेमने आ युक्तिए युक्त
होवाथी मान्य छे. अथवा अमोने अथवा, अमारा धर्मनायकने आ जाणीतुं छे, ते तत्व भेदना पर्यायोवडे अमोए अथवा, अमारा ॥५२४॥
धर्मनायके पारकाना उपदेशथी नहि पण, स्वयं जाणेलुं छे के, उपर नीचे तथा, चार दिशा, चार खुणा मळी दशे दिशामां तथा, बधां प्रमाणो ते, प्रत्यक्ष अनुमान ऊपमान आगम अर्थापत्ति विगेरेथी तथा, मनना निश्चयथी अमे तथा अमारा गुरुए विचारी ली,
छे केः-सर्वे प्राणो, सर्वे जीवो, सर्वे भूतो, सर्वे सत्वो हणवा, हणाववा; संग्रह करवो; सतापवा; दुःखी करवा तेमां कंइ दोष नथी; मतेम धर्मकार्यमां पण समजवु के, याग यज्ञ करवामां अथवा, देवताने बळिदान आपवामां पाणी हणाय; तो, पापनो बंध नथी. आ।
प्रमाणे, केटलाक जैनेतर सन्यासीओ तथा पोताने माटे रसोइ बनावेली जमनारा ब्राह्मणो धर्म विरुद्ध तथा, परलोकविरुद्ध बोले छे. | आ प्रमाणे, तेमन बोलवू जीवहिंसान होवाथी पापना अनुबंधवालं वचन अनार्यप्रणीत (रचेल) छे, पण जेओ तेवा हिंसक इन्द्रिय प्रिय नथी. तेवाओ शुं कहे छे? ते बतावे छे.
(तत्र वाक्यनी शरुआत करवा अथवा निर्धारण माटे छे.) जेओ देश भाषा तथा चारित्र वडे आर्य (उत्तम गुणवाळा) छे, | तेओ एम कहे छे, के अन्य मतवाळाए जे का ते तेमणे खराब रीते देखेलुं छे, अर्थात् तमोए अथवा तमारा गुरु तथा धर्मना नायकोए जीव हिंसानी पुष्टि करो तेथी नीचला दोषो तमने लागु पडे छे. (णं वाक्यालंकारमा छे) वळी तमे याग अथवा देवताना बलिदानमां हिंसाने निर्दोष मानो छो, परंतु आर्य पुरुषो तेमां पण दोष माने छे. एq बतावीने हवे आर्य पुरुषो पोतानो मत स्था
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