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ISRORS
जे उपर प्रमाणे धर्मकथानी विधिने जाणनारो, छे. ते प्रशस्त छे, अने जे पुन्यवान अने पुन्यहिनने धर्म कथामां सममिना । आचा० विधिए जाणे छे. तथा सांभळनारनो विवेक करी शके तेवा गुणवाळो कर्मने विदारण करनार वीर साधु, उत्तम पुरुषोथी वखाणा-& सूत्रम्
F एलो छे. वळी तेनुं वर्णन करे छे. ४१५॥
॥४१५॥ 'जे बद्धे' विगेरे. ते आठ प्रकारना कर्मवडे अथवा स्नेह रूप सांकळ विगेरेथी बंधाएला प्राणीओने धर्मकथा संभळाववा, विगेरेथी मुकावनारो राथाय तेज तीर्थकर गणधर अथवा आचार्य विगेरे उपर कहेली धर्मकथानी विधि जाणनारो छे.
ते क्ये स्थाने रहेला जीवोने मुकावे छे ? ते कहे छे. उंचे रहेला ज्योतिषी विगेरेने तथा नीचे भवनपति विगेरेने तथा तिर्यंच तथा मनुष्यने बोध आपे छे (देवताना जीवो सम्यक्ल पामे अने तियेच पचेंद्रिय चारित्रनो थोडो भाग अने मनुष्य पूर्ण चारित्र पण पामे.)
वळी ते वीर पुरुप बीजाने मुकावनारो हमेशा बन्ने परिज्ञाए पोते चाले छे, एटले सर्वोत्तम ज्ञाने युक्त छे, अने सर्व संवर चारित्र पाळनार छे, ते पोते जे गुणोने मेळवे छे ते कहे छे:
पोते हिंसाथी थतां पापे लेपातो नथी; (एटले कोइनी हिंसा करतो नथी.) (क्षणनो अर्थ हिंसा को छे,) ते मेघावी (बुद्धिमान) पण छे, एटले, जेनावडे जीवो चार गतिमां भमे ते अण (कर्म) छे, तेनो घात करे; ते खेदने जाणनारो निपुण मुनि छे. एटले ते कर्म क्षय करवानो उद्यम करनारा मोक्षाभिलापीओने कर्म क्षय करवानी विधि बतावनार पण छे, ते मेघावी, कुशळ, वीर मुनि छे,
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