________________
A
जे बझे पडिमौयइ जहा अंतो तहा बाहिं जहा बाहिं तहा अंतो, अंतो अंतो पूड आचा०81 देहंतराणि पासइ, पुढोवि सवंताई पंडिए पडिलेहाए ॥ (सू० ९३)
सूत्रम् जेने आ लोक अने परलोकना परिणामनां दुःख जोवामां (विचारवामां) विशाळ दृष्टि (ज्ञान) छे. ते विशाळ चक्षुवाळो बने રૂ૮ | छे. ते उपर कहेला भोगोने घणा अनर्थोनुं मूळ समजीने तेने छोडीने "शम सुख" (वीतराग दशा) ने अनुभवे छे. तथा संसारी
B. રૂદ્ધ P लोको जे विषय रसमां पडतां अतिशय दुःखी थएला छे. (एटले कुमार्गे जतां गुप्त इन्द्रि सडतां विसफोटकनो रोग थतां के क्षयथी । 8 मरतां जोइने) पोते तेवा कुमार्गने इच्छतो नथी. तेथी पशम सुखने अनेक प्रकारे जुए छे. तेथी ते लोकविदशी छे. अथवा लोक 6 एटले उर्द्ध अधः तथा तिर्यक् (स्वर्ग पातळ अने मृत्यु) ए त्रण लोकमां चार गतिमां थतां दुःखो सुखोना कारणोने तथा त्यां भोगवाता आयुष्य विगेरेने जुए छे. ते वतावे छे.
लोकना अधो भागमां शुं छे ते जाणे छे. एटले धर्म अधर्म अस्तिकायथी व्याप्त आकाश खंडनो नीचलो भाग जाणे छे. तेनो | टूसार आ छे के जीवो जे कर्मों वडे त्यां उत्पन्न थाय छे. तथा त्यां सुख दुःखनो विपाक केवो छे. तेने जाणे छे. (नारकीना जीवोने ★ थतुं दुःख पोते जाणे छे तथा भुवनपति व्यंतरना देवोन सुख पण जाणे छे.)
तेज प्रमाणे उर्द्ध तथा तिर्यक् लोकने पण जाणे छे. (उर्द्ध लोकमां वैमानीक देव तथा मोक्ष सुख छे. ते जाणे छे. तथा ५ तिर्यक् लोकमां ज्योतिषना देवतानुं सुख तथा धर्मी मनुष्यनुं मुख तथा पापी तथा तिर्यंच माणीनुं दुःख जाणे छे.) अथवा लोक
MORMALGAUR
ASPASSSSSHREE