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॥३३२॥
| निंदनीय स्थानमा उत्पन्न थाय छे. तथा कलंकवालो जीवपण बेइन्द्रिय विगेरेमा उत्पन्न थयेलो पहेला समयमां पर्याप्तिना उत्तर काआचा०
ळमां उंच गोत्र बांधीने मनुष्यमां अनेक वार उंच गोत्र मेळवे छे. त्यां त्रीजा भांगामा रहेलो अथवा पांचमा भांगामां उत्पन्न य
एलो छे ते आ प्रमाणे छे. ॥३३२॥ नीचगोत्र बांधे छे. अने उंचगोत्रनो उदय होय छे. अने कर्मपणुं (सत्ता) बन्नेनुं छे ते बीजो भांगो अने पांचमा भांगामा उंच
8 गोत्र बांधे छे तथा तेनोज उदय छे. अने सत्कर्मपणुं (सत्ता) बन्नेनुं छे छठ्ठो अने सातमो भांगो तो जे बंधथी उपरत (दर) थयोहोय ।
तेने थाय छे अने तेनो विषय न होबाथी ते बनेनो अधिकार नथी. ते वंने बंधना उपरमां उंचगोत्रनो उदय थाय छे अने सकर्म , पणुं बनेमा कायम छे ते छठो भांगो थयो अने सातमो भांगो शैलेशी अवस्थामां द्विचरम (छेल्ला समयना अगाडीना समयमां) नीच४ गोत्र खपावे छ ते ऊंचगोत्रनो उदय होय तेनेज छे. अने सत्ता पण ऊंचगोत्रनी छे. आप्रमाणे ऊंच नीच गोत्रमा रहेला जीवे अहंकार | न करवो जोइए तेम दीनता पण न करवी जोइए.
ऊंच अने नीच ते वने गोत्रनो बंध अध्यवसाय स्थानना कंडको समान छे. सूत्रमा बतावे छे के.
णो हीणे, णो अइरिते जेटलां उंच गोत्रमा अनुभाव बन्धना अध्यवसायना स्थान कंडक छे तेटलांज नीचगोत्रमा पण छेत 2 अने ते सर्वे अनादि संसारमा आ जीवे वारंवार अनुभवेलां छे. तेथी उंचगोत्रना कंडकना अर्थपणे जीव हीणो पण नथी तेम वधारे 18! पण नथी एज प्रमाणे नीचगोत्र कंडकमां पण समजवू ते संबन्धमा “ नागार्जुनीया" आ प्रमाणे कहे छे.
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