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का खुड्डो खुड्डो त्ति इमो पयंपियं निंदिओ य सब्वेहिं । खिंसिज्जइ धम्मोऽवि हु तेण कओ सव्वलोएण ॥
तो हरि सब्वस्सं पुराओ नीहारिओ नरिंदेण । मुक्को य कुडुबेणं एगागी दुक्खिओ भमिउं ॥२२॥ मरिऊण गओ रयणप्पभाइ नारयदुहाइं अणुहविउं । अडवीए पल्लिवइत्तणेण जाओ सबरसामी ॥२३॥ नीहारिओ तओऽवि हु बलियनरिंदेण केणइ तओ य । हिंडइ अन्नन्नेसु पल्लिवणेसु पलायंतो ॥२४॥ इय पुव्वजम्मकम्मावसेसनडिओ कहिं पि सो ठाणं । अलहतो किच्छेणं पावेतो पाणवित्तिं पि ॥२५||
परिभमइ सया अह नत्थि अन्नया भोयणस्स सामग्गी ।
कहमवि तत्तो लंघइ सपरियणो जाव तिणि दिणे ॥२६।। अह गाढं चिंताए गहियस्स छुहाकिलंतदेहस्स | सत्तुगसरावमेगं नीरस्स य करवरो एक्को ॥२७॥ केणावि अदिट्टेणं उवणीओ तं च विभइ दिन्नं । नियपरियणस्स जायं पज्जत्तं अप्पणा पच्छा ॥२८॥ परिभुत्ते निक्खुट्ट एवं जायइ दिणे दिणे तत्तो । विम्हइओ परिचिंतइ सो किमियं दुक्खलक्नेसु ॥२९ भोयणमेत्तसुहं मे उवट्टियं दीसए ? अह कयाई । इय चिंतंतेण इमेण अडवि'मज्झेण मुणिकलिओ ॥३०॥ परिमुणियसयलभावो चिटुंतो कत्थइ तरुतलम्मि । अइयसनाणी सूरी दिट्ठो कहमवि तदंतम्मि ॥३१॥ १. 'मज्झम्मि-वा०॥