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________________ ट भव मायायां वणिगदुहिता कथानकम् तो विणयं पियराणं करेइ तह कह वि सा जह इमाइं । रुवाइएहिं तीसे विणएणं रंजियमणाई ॥४॥ भावना नेच्छंति तव्विओयं खणं पि तो पुरवराओ अन्नाओ । निद्धणवणियस्स सुओ रूयस्सी चंदणो नाम ॥५॥ प्रकरण * आणेऊण य नियघरे पाणि धूयाए गाहिओ तेहिं । घरजामाउथभावं पडिवन्नो चिट्ठए तत्थ ॥६॥ - सिग्धं च उवरयाई पिऊणि तीसे तओ य घरसामी । जामाउओऽवि जाओ पुत्ताईणं अभावाओ ॥७॥ तत्तो निरंकुसा पउमिणी वि परिविहियपवरसिंगारा । रुचंततरुणएहिं अन्नन्नेहिं समं छन्नं ॥८॥ अभिरमइ निश्चमेव य बाहिं तु महासइ ब्व भत्तारं । तहकह वि हु अणुयत्तइ जह छेयजणं पि भोलेइ ॥९॥ अह अन्नया पसूया जाओ पुत्तो तओ य तं एसा । अधवारंती भणिया भत्तारेणं तुम एयं ॥१०॥ किं न धवारेसि? तओ सा पभणइ मज्झ बालभावाओ। परपुरिसफरिसनियमो तत्तो एसो वि परपुरिसो ॥११॥ है तो देहे वि न लग्गइ मह एसो किं पयोहराईसु ? । इय सोउं परितुट्टो तीसे उज्जयमई भत्ता ॥१२॥ चिंतइ य अहो सीलं मह भजाए अणुत्तरं किं पि । मह वइरित्तं पुत्तं पि जेण फरिसइ न देहेण ॥१३॥ अन्नं धरेइ धाविं पुत्तस्स धवारणहमह एसो । एवं सो परिवइ अहऽन्नया चंदणो हदे ॥१४॥ . ॥ ३५८॥
SR No.010801
Book TitleBhav Bhavna Prakaranam Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubodhchandra Nanalal Shah
PublisherGangabai Jain Charitable Trust Mumbai
Publication Year1986
Total Pages516
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size19 MB
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