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________________ Kalन वहइ का वि दुगंछा तत्तो नट्ठो समग्गसुइवाओ । दिन्नाई दुगुंछियजाइवेजवग्गेण य करेइ ॥१३॥ समलाई ओसहाई अहऽन्नया गोयरम्मि हिंडंता । अप्पडिकम्मसरीरा इरियासमिईइ उवउत्ता ॥१४॥ मणवयणकायगुत्ता समतिणमणिलेठुकंचणा धीरा । गेहम्मि तस्स कहमवि समागया साहणो दोन्नि । Sil ते दळूण कयंवेण चिंतियं नूण सयललोयम्मि । एए चिय सुइणो जे धरंति बभव्ययमखंडं ॥१६॥ को सुइवाओ अम्हारिसाण 'बझंतपावरेणूणं ? । हिंसालियाइपावेसु जे पयति अविसंका ॥१७॥ S/ता सयलपावविरया समचित्ता सत्तुमित्तवग्गम्मि | एए सुई पवित्ता पक्वालियसयलपावमला ॥१८॥ तम्हा जइ कह वि अहं मुचिस्समिमेहिं दुट्ठरोगेहिं । एएसिं चिय ता मग्गमणुचरिस्सामि धीराणं ॥१९॥ all इय सुहभावेण इमस्स कह वि उवसंतवेयणिज्जस्स । विणियत्ता सब्वेवि हु ते रोगा दारुणा वि दढं ॥ | तत्तो साहुसगासे धम्मं सोऊण सावओ जाओ | मूलुत्तरगुणविसयं पवजए देसचारित्तं ॥२१॥ अम्मापिऊणि तह सावयाई विहियाई परियणेण समं । अणुदियहं जिणधम्म सुणेइ पूएइ जिणबिंबे ॥ चिंतइ य जह सरीरे इमम्मि मलमूत्तअढिसंघाए । उत्तमकुसुमविलेवणवत्थाहरणाइउवओगं ॥२३॥ EPI कुणइ जणो तं मोहविलसियं केवलं चिय सुहेहिं । रेहइ न असुइजो वत्थूहिं अलंकरिजंतो ॥२४॥ १. बज्झतमायरेऊणं-सर्वत्र ।।
SR No.010801
Book TitleBhav Bhavna Prakaranam Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubodhchandra Nanalal Shah
PublisherGangabai Jain Charitable Trust Mumbai
Publication Year1986
Total Pages516
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size19 MB
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