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तो 'वसुहारा इहई पडउ' त्ति पयंपिऊण सो कुमरो । कयसम्माणो तेहिं उवविट्टो एगदेसम्मि ॥ तो धाउवायभासाइ पुच्छिया तेण ओसहाईणं । सयलावि हु सामग्गी निउणणं ताण पासम्मि ॥ वायपवन्नाण य तुम्ह केत्तिओ वट्टए इहं कालो ? सिद्धी य अस्थि का वि हु अन्नम्मि वि एवमाईए ॥ ME पुढे साहिप्पाओ महाणुभावो य कोऽवि एसु त्ति | कलिऊण तेहिं कहिया जहटिया ओसहाईया ॥ बालत्ताउ जुवत्तं तारुनाओ य कोवि वुड्ढत्तं । पत्तो य धमणखित्तो पिउदविणखओ किलेसो य॥ सेलसमाणो य इमो छारुक्कुरुडो तहा वि पुण एसा । सिद्धी एत्थ महायस ! सुन्नं पुण जह अरन्नमिणं ॥ इय परिकहिए तेहिं ईसिं हसिऊण जंपई कुमरो । सह ओसहीहिं नागं वंगं संबं च खिविऊण ॥२२॥ आरोवेउ मुसाए धमेह मह चेव इह नियंतस्स । तो तेहि य तह विहिए पुन्नुदएण य कुमारस्स ॥ जायं निम्मलकणयं सयलं आणं दिएहिं तो तेहिं । भणियं अम्ह महायस ! एहिं चिय ओसहेहिं सया धममाणाणं कालो वोलीणो एत्तिओ परं सिद्धी । जा तम्हाणं कहिया इहि पुण तह पभावेण ॥२५॥ जाया सुवन्नसिद्धी पुन्ना अम्हं मणोरहा सव्वे | तत्तो य कुमारेण वि किरिया पडिहत्थिया एसा ॥ जायं प्रभूयकणयं तत्थ च्चिय तो महंतपडिवत्तिं | काउं तेहिं कुमरो धरिओ अइगुरुनिबंधेण ॥२७॥ अह पाडिऊण कणयं कुणइ विलासे तहिं चिय पुरम्मि । आराहंति इमेऽवि हु देवयमिव तं नरिंदसुयं