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________________ न हि वणियाणं गए हुति गुणा कह वि चंदकरधवला । न य पोरुसं पि एयं जुत्तिखमं वणियजाईसु ॥ PI तम्हा सागरमित्तं सेटिं पुच्छेह एत्थ परमत्थं । हकारिऊण पुट्ठो रम्ना सो सामदंडेहिं ॥३२॥ तो कहइ जहत्थमिमो सव्वं एत्थंतरम्मि सीमालो । न कयाइ सिद्धपुब्बो लूडइ पच्चंतभूमीओ ॥३३॥ आएसं तस्सुवरिं मग्गइ गुणसायरो तओ राया । संवाहिउँ विसज्जइ गंतुं अचिरेण सोऽवि तयं ॥३४॥ बंधेऊणं गिण्हइ दुग्गेण समं तओ नरिंदेण | वद्धावणयं विहियं गरुयपबंधेण देसेसु ॥३५॥ कहिओ य तहा सब्बो गुणसायरवइयरो परियणस्स । देसो य तस्स गुरुओ दिन्नो धूया य पडिवन्ना ॥ जा अजवि तं परिणइ न एस ता केणई अदितॄण | अवहरिऊणं खित्तो सो जलहिजलम्मि भीमम्मि ॥ रयणवई विहु खित्ता अवहरि पव्वए अरन्नम्मि । गुणसायरो समुद्दे निवडतो दिव्वजोएण ॥३८॥ या घरणिंदेणं पत्तो नीतो तो तेण निययभवणम्मि । वत्थरयणाइएहिं सम्माणेऊण तो भणिओ ॥३९॥ | वइरोयणत्तणेणं बंधू तं होसि अम्ह जं इहई ! धणरिंदो आसि तुमं चिट्ठामि अहं जओ इण्हि ॥४०॥ ता भणसु पियं जं तुह करेमि गुणसायरेण तो भणियं । कत्थ अहं उप्पन्नो एत्तो गंतूण ? इय कहसु ॥ तो धरणिंदो पभणइ निसुणसु अवहियमणो खणं होउं । रोहीडगम्मि नयरे अन्नायपरो महालुद्धो ॥४२॥ धरणो नाम नरिंदो आसि तहा तम्मि चेव नयरम्मि | नामेण नंदणो आसि वाणिओ रिद्धिसंपन्नो ॥ । २८३ ॥
SR No.010801
Book TitleBhav Bhavna Prakaranam Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubodhchandra Nanalal Shah
PublisherGangabai Jain Charitable Trust Mumbai
Publication Year1986
Total Pages516
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size19 MB
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