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________________ भव भावना प्रकरणे धरणिधरसुनन्दकथायां स्वपूर्व भवपृच्छा तेहिं भणियं कहं पिव? अह सा वि सपचयं कहा सव्वं । कुमरेहिं तओ'भणियं न टलामो तह वि एयस्स ॥५०॥ जेण भणिस्सह लोओ कावुरिसा नत्तयं घडेऊण । एए ठिय त्ति तो सा वचइ नरनाहखंधारे ॥५१॥ उवलक्खिया निवेणं सगग्गएणं तओ इमा पुट्ठा । अणुहयवइयरं परिकहेइ सयलं नरिंदस्स ॥५२॥ हरिसपर वसहियओ तत्तो राया कुमारपासम्मि । चलिओ उक्कंठाए कइवयबलसंजुओ अह सा ॥५३॥ गंतं सुयाण साहइ तेवि हु समुहा अइंति नरवइणो । वियलंताणंदजलो आलिंगड ते तओ राया ।५४| कुमरेहिं तओ रिद्धी सयला वि समप्पिया नरिंदस्स । तेण वि तुट्टेण इमा दिन्ना अन्ना वि तेसिं पि ५५ राया देवी कुमरा सहियाई चंदसेणमाईहिं । वीरउरम्मि गयाइं वद्धावणयं कुणइ राया ॥५६॥ कइवयदिणपजते सीहं रजंमि संठवेऊण । जुवरायपए. ठविउं सिंधुरकुमरं च पव्वइओ ॥५॥ सीहो वि पयावपरकमेहिं अह साहिउं बहुं पुहई । पालइ पसंतडमरं रजं उवभुंजइ सुहाई ॥५८॥ . अह अन्नया पलोयइ पासायसिरहिओ रहाईहिं । बहुजाणवाहणेहिं आरूढं विहियसिंगारं ॥५९॥ नयराउ नीहरंतं पूयाहत्थं पभूयपउरजणं । पुच्छइ सन्निहियनरं के वि हु वच्चइ कहिं लोओ? ॥२०॥ १. कहियं-वा०॥ ॥ २७२॥
SR No.010801
Book TitleBhav Bhavna Prakaranam Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubodhchandra Nanalal Shah
PublisherGangabai Jain Charitable Trust Mumbai
Publication Year1986
Total Pages516
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size19 MB
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