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| सिरिदत्तो नाम तहिं निवसइ कुलउत्तओ धणसमिद्धो । जिणधम्मभावियमई जाणियसंसारपरमत्थो॥ ll तस्स य कयाइ भज्जा पंचत्तं उवगया तओ एसो । तेणं चिय वेरग्गेण गिण्हए जिणमयं दिक्खं ॥३॥
अह सुत्तमहिजेउं करेइ सो दुक्करं तवोकम्मं । सम्मं बावीसपरीसह य विसहइ जियकसाओ ॥४॥ संजमइ इंदियाई कयसंतोसो तहेव उवसग्गे । अहियासइ अवलंबियगुरुसत्तो .भावियभवोहो ॥५॥ अह विहरंतो कइया वि एस गामस्स कस्सइ बहिम्मि । वीरासणेण रयणीए संठिओ पेयभूमीए ॥६॥ एत्तो सम्मट्टिी मिच्छादिट्टी य जे सुरा मित्ता | सोहम्मदेवलोए तो सम्महिट्टिदेवेण ॥७॥ भणियं सिरिदत्तभुणी मंदरसिहरं व खरसमीरेहिं । झाणाओ न चालिज्जइ अमरेहि वि सक्कसहिएहिं ॥ तं सोऊणं इयरो असहहंतो सुरो समणुपत्तो । तस्स मुणिस्स सयासे 'सुद्धसुसंधापरिक्खट्टा ॥९॥ नत्तो अणिमिसनयणो कत्थइ परमकरवरम्मि सो लीणो | दिट्ठो तेण महप्पा मायंगेणं व मयराओ ॥१०
तो भीममट्टहासं रक्खसरूवेण मुंचए अमरो । करिख्वेण गलत्थइ डसइ भुयंगस्स रूवेण ॥११॥ Polजालइ दवानलं चउदिसिं पि जालोलिभरियनहविवरं । पाडेइ भामिऊणं पयंडपवणेहि सव्वत्तो ॥१२॥ II उद्दहइ धूलिवरिसेण विच्छुयाईहिं डसइ सव्वंगं । तत्तो तदभिप्पायं जा पेच्छइ ओहिनाणेण ॥१३॥ १. खुड्डभिसंधी परिक्खा -सर्वासु ।।
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