________________
wnw
win
जन्मादिक व्याधि न फेरि धरो, मरणादिक प्रापद नाहिं वरो। निर्वाण महान विशुद्ध अहो, जिन शासन में परसिद्ध कहो ॥३०॥
ॐ ह्री शुद्धनिर्वाणाय नम. अध्यं । करि अन्त न गर्भ लियो फिरके, जनमे शिववास जनम धरके। जिनको फिर गर्भ न हो कबहू, शिवराय कहाय नमूअब हूँ।३१।
ॐ ह्री शुद्धसंदर्भगर्भाय नम. अध्यं । जगजीवन काम नशायक हो, तुम पाप महा सुखनायक हो। तुम मंगल मूरति शांति सही, सब पाप नशै तुम पूजत ही ॥३२॥
ॐ ह्री शुद्धशाताय नम अध्यं । दोहा-पंच परमपद ईश है, पंचमगति जगदीश ।
जगत प्रपंच रहित बसे, नमू सिद्ध जग ईश ॥ ३३ ॥ ॐ ह्री सिद्धचक्राधिपतये नम महायं निर्वपामीति स्वाहा ।यहा १०८ बार जाप देना चाहिये ।
प्रथम अथ जयमाला इ. दोहा-परम ब्रह्म परमातमा, परम ज्योति शिवथान ।
परमातम पद पाइयो, नमो सिद्ध भगवान ॥१॥
पूजा
innamrur
amannnnn