________________ सिद्ध वि० भव भोग भोगि योगीश भये, श्रीपाल कर्म हनि मोक्ष गये / दूजे भव मैना पावे शिव रजधानी // फल पायो० / / जो पाठ करै मन वच तन से, वे छूटि जाय भव-बन्धन से। "मक्खन" मत करो विकल्प कहा जिन-बानी।।फल पायो०।। 408 १अष्टम AMMA पूजा -Resreranam