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घटाघट वस्तु परकाशी, धरे है जोति प्रतिभाशी। पूर्ण,
___ॐ ह्री पाठकज्योतिप्रकाशाय नमोऽय॑ ॥ ३७७॥ वस्तु सामान्य अवलोका, है युगपत दर्श सिद्धोंका । पूर्ण.
___ॐ ह्री पाठकदर्शनचेतनाय नमोऽयं ।। ३७८ ।।। विशेषण युक्त साकारा, ज्ञान दुति मे प्रगट सारा । पूर्ण.
___ॐ ह्री पाठकज्ञानचेतनाय नमोऽय॑ ।३७६॥ ज्ञानसो जीव नामी है, भेद समवाय स्वामी है। पूर्ण.
____ॐ ह्री पाठकजीवचिदानन्दाय नम: अध्यं ॥३८॥ चराचर वस्तु स्वाधीना, एक ही समय लख लीना। पूर्ण.
ॐ ह्री पाठकवीर्यचेतनाय नमः अध्यं ॥ ३८१ ।। सकल जीवोके सुख कारन, शरण तुमही हो अनिवारन । पूर्ण.
____ॐ ह्री पाठकसकलशरणाय नम अयं । ३८२ ॥ तुम हो त्रयलोक हितकारी, अद्वितीय शरण बलिहारी। पूर्ण सतभी
ॐ ह्री पाठकत्रैलोक्य शरणाय नम अध्यं ।। ३८३ ॥ तुम्हारी शरण तिहुँ काला, करन जग जीव प्रतिपाला । पूर्ण.3 २३१
ॐ ह्री पाठकत्रिकालशरणाय नम अध्यं ॥३४॥
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