SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 140
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सिद्ध विक ____ॐ ह्री पाहारकशरीररहिताय नम. अध्यं । पुद्गलीक तन कर्म वर्गरणा, कारमाण परदीप्त करण, तेजस नाम शरीर शास्त्रमे, गावत है नहिं तेज वरण। भए अकाय० ॥नमू तुम्है० ॥६७॥ ॐ ह्रो तेजमशरीररहिताय नम अयं ।। पुद्गलीक वरगणा जीवसों, एक क्षेत्र अवगाही है, नूतन कारण करण मूल तन, कारमाण तिस नाम कहै। __ भए अकाय० ॥नम तुम्है० ॥६॥ ॐ ह्री कार्माणशरीररहिताय नम अयं । - इन्द्रवज्रा छन्द। जेते प्रदेशा तन बीच पावै, सारे मिलै जोड़ न छिद्र पावे। संघात नामा जिय देह जानो, पूजू तुम्हे सिद्ध यह कर्म भानो॥६६॥ षष्ठम ॐ ह्रो औदारिकसघातरहिताय नम अध्यं । .. । पूजा ऐसे प्रकारा तनमें अहारा, संधी मिलाया कर वेतसारा। संघात नामा जिये देह जानो, पूजू तुम्हे सिद्ध यह कर्म भानो॥७०॥
SR No.010799
Book TitleSiddhachakra Vidhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSantlal Pandit
PublisherVeer Pustak Bhandar Jaipur
Publication Year
Total Pages442
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript, Ritual, & Vidhi
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy