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अहग दर्शनावरणविनाशो, नमो सिद्ध स्वज्ञान प्रकाशो ॥६॥
ॐ ह्री प्रचक्षुदर्शनावरणरहिताय नमः मयं । । देशकाल द्रव भाव प्रमानं, अवधि दर्श होवे सब ठानं । । अवधि दर्श प्रावरणे विनाशो, नमो सिद्ध स्वज्ञान प्रकाशो ॥१०॥
ॐ ह्री प्रवधिदर्शनावरणरहिताय नम प्रध्यं । विन मर्याद सकल तिहु काल, होय प्रकट घटपट तिहं हाल । केवल दर्शनावरण विनाशो, नमो सिद्ध स्वज्ञान प्रकाशो ॥११॥
ॐ ह्री केवलदर्शनावरणरहिताय नम अध्यं ।। बैठे खडे पडै घुम्मरिया, देखे नहीं निद्राको विरिया। निद्रा दर्शनावरण विनाशो, नमो सिद्ध स्वज्ञान प्रकाशो ॥१२॥
ॐ ह्री निद्राकर्मरहिताय नम अध्यं ।। सावधानि कितनी की जावे, रंच नेत्र उघड़न नहीं पावे । निद्रा निद्रा कर्म विनाशो, नमो सिद्ध स्वज्ञान प्रकाशो ॥१३॥
ॐ ह्री निद्रानिद्राकर्मरहिताय नमः अध्यं । मंदरूप निद्रा का आना, अवलोकै जाग्रतहि समाना।
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षष्ठम पूजा