________________
वि०
MASTIPUR
मुनि ध्येय सेय अभय चाहूं, गेह धो हम शुभमती ॥१॥ ॐ ह्री णमो सिद्धाण सिद्धचक्राधिपतये समत्तणाणादि अट्ठगुणमहिताय पूर्णाय ।।
अथ २५६ गुण सहित नामावली अर्ध । । चौपाई-मिथ्यातम कारण दुखकारा, नित्य निरंजन विधि संसारा।
तिस हनि समरथ अतिशय रूपा, केवल पाय नम शिव भूपा॥११ ॐ ह्री चिरतर ससारकारण ज्ञाननितोद्भूत केवलज्ञानातिशयसपन्नाय सिद्धाधिपतये नमःप्रध्या, मन इन्द्रियनिमित मति ज्ञाना, योग देश तिष्ठत पद जाना। क्षय उपशम आवर्ण विनाशो, नमो सिद्ध स्वज्ञान प्रकाशो ॥२॥
ॐ ह्री अभिनिबोधवारकविनाशकाय नम अध्यं । द्वादश अंगरूप प्रज्ञाना, श्रुत आवरणी भेद बखाना। क्षय उपशम आवर्ण विनाशो, नमो सिद्ध स्वज्ञान प्रकाशो ॥३॥
ॐ ह्री द्वादणागश्रुतावरणीकर्मविमुक्ताय नम अध्यं । है असंख्य लोकावधि जेते, अवधिज्ञान के भेद सु तेते।
पष्ठम
ANAM