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तह तीए तणुईए रन्नो रुद्धं विसालमवि हिययं । ओगासं जह अण्णा पावइ थेवपि नो तत्थ ॥१६७ ॥ सा पुण न माम योन कयावि अलियं न यावि पेसुन्न । ईसावसं ण गच्छद न यावि सोहग्गगवं च ॥ १६८ ॥ जाणइ पियाई भणि
जाणइ सबस्स उचियपडिवत्तिं । जाणइ दुहिएसु दयं जाणइ परिपालिउं सीलं ॥१६९॥ हयहियओ होइ णिवो रंजिज्जइ परियणोवि किर तीए। गुणसंथवणे लग्गो सवत्तिवग्गोवि तं चित्तं ॥ १७० ॥सुहसायरमग्गाए तीए तणतुल्गणियसग्गाए। सिसिरदिवसायमाणा गणिया दिवसा न वयमाणा ॥ १७१ ॥ अह अन्नया णिसाए मज्झिमभागम्मि सुहपसुत्ता सा ।
पेच्छड सुवन्नकलसं सुरचंदणपंकचच्चिकं ॥ १७२॥ खीरोयसलिलभरियं विजुप्पुंजुज्जलं कमलपिहियं । णियउच्छंगणिविट्ठ है विसिट्ठमणिजालसंघडियं ॥ १७३ ॥ तक्खणमेव पबुद्धा उट्ठावेऊण नरवई कहइ । जह देव! मए सुमिणो एण्हिं एया-18
रिसो दिह्रो ॥ १७४ ॥ भणइ निवो तुज्झ पिए! होही पुत्तो कुलंवरमियंको । कुलकप्पतरू कुलदीवओ य कुलमंदिरज्झओ 18य ॥ १७५ ॥ एवंति होउ इय मन्निऊण सा गम्भमुबहइ धीरा। पीयामयरसपूरव हरिसपगरिसमणुपत्ता ॥ १७६ ॥ है अविय ॥ अभवहरइ ण उण्हं णय सीयं छुहतिसावि नो सहइ । चंकमइ णय तुरियं गन्भासायाओ बीहंती ॥ १७७॥4
पियइ विविहोसहाई निच्चं चिय गम्भबुड्डिजणयाई । बंधेइ ओसहीओ आराहइ देवयाणेगा ॥ १७८ ॥ पुन्नप्पाएसु तओ से मासेसुं नवसु पेसिया पिउणा । पडिजग्गया वियायइ पढमं जं पिउगिहे नारी ॥१७९॥ जयसेणकुमारेणवि अइसुंदरमेय-15 मिइ मुणंतेण । अंगयजुयलं पहियं सविसेसं पाहुडं रन्नो ॥ १८० ॥ पत्ता कमेण आवासिया य ते दत्तपरिचयवसाओ। गयसेट्ठिगिहे सम्माणठाणमारोविया तेण ॥ १८१॥ भवियवयानिओगेण तेहिं पढमं निभालिया देवी । कहिओ पिउसं
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