________________
जायं गई मंदा ॥ २९ ॥ जा आसि सहावाओ गव्भभरेणं च सा दढं जाया । नीलमुहं परिपंडुरछायं ससिमंडल विडंगि ॥ ३० ॥ बच्छोरुहाण जुयलं छप्पय परिभुज्जमाणसुहृदेसं । कमलजुयलं व राइयअञ्च्चग्गललग्गसोहग्गं ॥ ३१ ॥ जंघाओ | सहीओ इव संभूयाओ पभूयरुवाओ । अलसत्तं मित्तंपित्र तीए सयासं न उज्झेइ ॥ ३२ ॥ उदरेण समं वुद्धिं पत्ता लज्जा अजमो हो। उदरवलीहिं सह तह नयणजुयं पंडुरं जायं ॥ ३३ ॥ परिपोढपुन्नगन्भाणुभावओ तीए कमलत्रयणाए । नंपुनो इयरूयो तइए मासम्मि दोहलओ ॥ ३४ ॥ जह जिणहरेसु पूया होइ पभूया दया य जीवेसु । सुहिओ सोवि | जणो जइ ता मइ मो वियंभिज्जा ॥ ३५ ॥ तम्मि असंपजंते ओलग्गमुही सुपंडुरसरीरा । खीरकवोला वित्थारनयणिया शति सा जाया ॥ ३६ ॥ पुट्ठा य सेट्ठिणो दढमक्खायं जह इमो मणोभावो । संपइ संपन्नोऽपूरणेण तस्सेरिसाऽवत्था ॥ ३७ ॥ मह्या विवएणं दूरं परिमुक्त किविणचरिएणं । सो सिट्टिणा पहिट्टेण सुट्टु संपाडिओ सबो ॥ ३८ ॥ परिकाए मुहार से आए एत्थ भोयणेहिं च । सा गव्भं वहइ महासमाहिसारं तओ नवसु ॥ ३९ ॥ मासेसु समहिएसुं गएसु सुहजोगलग्गसमयम्मि । पुन्नाए तिहीए मुक्किलम्मि पक्खे वरे रिक्खे ॥ ४० ॥ उच्चट्ठाणगएसु गहेसु दिसिमंडलेसु विमलेसु । झत्ति पसूया रविमंडलं व पुद्या सुयं सा य ॥ ४१ ॥ विहियं वद्धावणयं तूररवापूर पुन्नदिसिचकं । सयलपुरलोयशेयणमणहरणं दिनहुमाणं ॥ ४२ ॥ पत्ते दुवालसदिणे विहिएसुं सूइ समय किच्चेसु । संमाणियबंधुजणो पियरजणो | नाममिय कुणइ ॥ ४३ ॥ जं दंसणमुद्धिपरा जाया जणणी इमम्मि गव्भगए । तम्हा सुदंसणो एस होउ पुत्तो पवित्तगुणो ॥ ४४ ॥ नीरोगो निस्सोगो विगयविओगो पवद्विडं लग्गो । सो वालो बहुलेयरपक्खे ससिमंडलकलब ॥ ४५ ॥ समए