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महामओ एरिमो विहिओ॥ २१॥ सविसायं सा भासइ किमहं करिणी जमेवमुवणेइ । असमारइयाउ इमा समूलडालाउ लट्ठीओ ॥ २२ ॥ तो भणसु मूलदेवं किं काही सोवि ताव पिच्छामो । पहिया चेडी जाणाविओ य सो जुयखलयम्मि ।। २३ ॥ तत्तो तेण कवडे घेत्तूणं दस दुगेण तम्मज्झा । गहिया दो लट्ठीओ दुगेण दो अहिनवसरावे ॥ २४ ॥ मेमेण चाउजायं तिक्खेण छरेण ताउ घडिऊण । तह गंडली कयाओ सूलासुं पोइयाओ य ॥ २५ ॥ चाउज्जाएणं वासिऊण ठवि सरावद्गमज्झे । चेडीकरप्पियाओ काउं संपेसिया तीसे ॥ २६ ॥ जणणीइ दंसियाओ पेच्छसु विन्ना
अंतरं दोण्हं । अकिलेसेणं भक्खणरिहाउ संपेसिया तेण ॥ २७ ॥ अयलेण पुण महतो अत्थवओ कारिओ न उण मम्झ । एकावि उच्छुलट्ठी जहोवजुज्जइ तहा विहिया ॥ २८ ॥ एगंतेणेव गुणे एसा पेच्छेइ मूलदेवस्स । इय सविसाया
जणणी चिंते एवमारद्धा ॥ २९॥ को नाम सो उवाओ जेणेसो निग्गहं लहेजाहि । अयलाउ जेण न पुणो पविसेज्जा KIमरस गेहम्मि ॥ ३०॥ अह अण्णवासरे अयलसत्यवाहो भणाविओ तीए । छउमेण गामगमणं करेत्तु एजाहि संझाए
॥ ३१ ॥ तेण तहच्चिय विहिए गमणे तुहाइ देवदत्ताए । गेहम्मि मूलदेवो पवेसिओ जाव अभिरमइ ॥ ३२ ॥ विज्जु
उप्पो प तओ आवडिओ झत्ति अयलसत्याहो । गिहमज्झे य अइगओ इयरो सेज्जायले लीणो ॥ ३३ ॥णाओ य तेण, भणिया गणिया, पहायचं मज्झ इत्थेव । सेज्जाए, सा पभणइ निरत्थं किं विणासेसि ॥ ३४ ॥ मज्झं चेव विणस्सइ
ण उणो तुह किंपि किं विसूरेसि? पारद्धो पहाणविही अभंगुबट्टणाईओ॥ ३५॥ कलसपलोट्टणसमए पारद्धो चिं5/ ति तओ इयरो।ही ही वसणाण वसा वसणाई जओ भवंतेवं ॥ ३६॥ "कोऽर्थान् प्राप्य न गर्वितो विपयिणः क
OSASSA SISSEASTIESASIAS
-म.