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ज्ञानगर्भ
श्रीउपदे
पक्खाओ॥१६॥ आरेण तओ वजाहयव सबा सहा खणा चेव । सावाहा तुहिका थका मंती तओ ज्झत्ति ॥१७॥
ताओ सहादेसाओ विणिग्गओ धीरमाणसो धणियं । केणइ अलक्खिओ आणवेइ नेमित्तियं सगिहे ॥ १८॥ कयगरुय- मंत्रिनिदशपदे
15 गोरवो वत्थपुप्फवरभोयणाइदाणेण । बहुपणयपुवसंभासणाओ संपन्नसंतोसो॥१९॥ठाउं पइरिक्ककारणाउ कत्तो भविस्सईल र्शनम् ॥२०५॥ एसा । इय पडिपुट्ठो भणियं जहा इओ जेद्वपुत्ताओ ॥ २०॥ (मंत्री-)को पच्चओ इमा जं होही नियमेण मज्झ सकु
लस्स? । (नैमित्तिकः-)अमुगदिवसम्मि सुमिणो असुंदरो निसि तुमं होही ॥ २१॥ एवमुवलद्धसारो कजस्स स पूइ-१ ऊण देवण्णुं । परमायरेण वारेइ सबहा नो पयासमिमं ॥ २२॥ कायवमुवगए नियपएसमह तम्मि अन्नदिवसम्मि । दिवो सुमिणो जह मज्झमंदिरं धूमजालाहिं ॥ २३ ॥ अइबहलतिमिरनिउरंबसामलाहिं समंतओ ठइउं । ता मंतिणा 8 सपञ्चयमुत्तं तं पुत्तकुलमूलं ॥ २४ ॥ जोइसविऊहिं तज्जम्मकालमिलिएहिं सुइ पण्णत्तो । इण्हि पुण तप्पलओ हुतो दीसइ
तुमाहितो ॥ २५॥ सुविसुद्धबुद्धिपुर्व वट्टिजउ ताव पक्खमिममेगं । जइ नाम वसणमेयं उवद्वियं कहवि वंचेमो॥ २६ ॥ ६ को वा तहा मईए इमाए मे सयलजयपसिद्धाए । होजा गुणो ण खलणं करेमि जइ अस्स वसणस्स ? ॥२७॥
अइचित्तं गहचरियं सुमिणो सउणाइयं निमित्तं च । देवो व जाइयाई फलंति जइ कस्सइ कयाइ ॥ २८॥ ता णो बुद्धिधणेहि तसियवं धीरिमं वहंतेहिं । उचिओवायपरेहि होयचं तहवि निचंपि ॥ २९॥ परिघडियणिउणनीईण दूरओ मुक्क
कुपहगमणाण । दिवाउ विहडिओवि हु कज्जारंभो न दोसाय ॥ ३०॥ मंजूसाए ता पुत्त! पविस पक्खस्स भोयणज• लाणि । एयाणि तणुट्टिईए ठाणाणि य तो तहा विहिए ॥ ३१ ॥ उवगम्म रायपासे निवेइयं मंतिणा जहा एत्तो । पुरि
ALSO REARRE
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