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याए । किमयोहीए भणियं जिणपहुणा गुरुपओसोत्ति ॥ ६९ ॥ थेवमिणं तो भयवं कया णु लाभो पुणोवि वोहीए। होही, (जिनः-)अग्गिमजम्मे (मुरः-) कत्तो (जिन:-)नियभाइजीवाओ॥ ७० ॥ (सुरः-) सो कत्थ संपयं (जिनः) पुरवरी कोमंत्रियाए परिवसइ । (सुर:-) किंनामगो स भगवं (जिनः )मूयगा नामा दुइज्जेण ॥ ७१ ॥ नामेण पढम-15 गेण 3 असोगदत्तोति (सुरः)कहमिमं जायं । लोए नामंजह मूयगोत्ति (जिन:-) सुण एगचित्तो तं ॥७२॥ कोसंबीए पुरीए नियसोहोवहसियामरपुरीए । सेट्ठी तावसनामा धणकणयहो पुरा आसि ॥ ७३ ॥ भज्जा अणवजंगी विरसामपयं अहेसि तस्सपहा । तग्गन्भसंभयो कुलधरो त्ति पुत्तो पगभगुणो ॥७४ ॥ सेट्ठी सुद् परिग्गहसत्तो णाणा| पयष्टियारंभो । धम्मपरंमुहचित्तो कालेण मओ गिहे चेव ॥ ७५ ॥ गड्डासूयरमत्ताए जदुभावोवगओ समुप्पन्नो। दलं कुटुंबयं नियगमेव पोराणिया जाई ॥ ७६ ॥ सरिया जह अस्स पहू आसि अहं पेमपासवडिवो। पायं तत्थेव गिहे ||
इमो नमो अच्छइ भमंतो ॥ ७७ ॥ संवच्छरिए तरसेव माहणाईण भोयणनिमित्तं । पिसियं पभूयमुवकप्पियं तओ सूय-15 13गारीए॥७८॥कहमवि पमत्तभावं गयाए गसियं तयं विरालीए। तत्तो कोवपराए तीए पिसियस्सणवलंभे॥७९॥
अन्नस्म मुच्चिय हओ पसाहियमिमस्स तं लहुं मंसं । सो पुण रोसपरवसो तत्थेव गिहे अही जाओ ॥ ८०॥ जाओ यर जाइसरणो णेहाशो गिहे तहिं विय भमंतो। अच्छइ अविसंकमणो पलोयमाणो नियकुडुंवं ॥ ८१ ॥ दिट्ठो सूयारीए कोलाहलबाउलीकयगलाए । भीयाए अइदढलउडताडणा मरणमुवणीओ ॥ ८२ ॥ संपन्नसुद्धिलेसो नियपुत्तस्सेव सो सुओ जाभो । उवियं असोगदत्तो त्ति तस्स नामं पिइजणेणं ॥ ८३ ॥ पइदिवसमुवचयं सो लहंतओ अह सिसुच्चिय
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