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माषण नवजणणीमा सत्त इमेसिमन्नतरगे उबलजणणी पुण चउरो एग मंडलियमायाओ॥ १७॥ तग्गब्भलाभकाले ता एयाए सुओ बरो होही। समयम्मि रजसामी राया होही मुणी अहवा ॥१८॥ लद्धपोढजीवणवित्ति तो ते गया सगळेमु । सा पुण धारिणी देवी सुहेण तं गम्भमुघहइ ॥ १९॥ मासेसु तिसु गएK अकालजलवाहडोहलो नाभो। तीमे जहा अहं हस्थिरायसेयणगमारूढा ॥ २०॥ उपरि धरियायवत्ता सेणियरायन्निया सपरिवारा । पाउसलदीविच्छतुमंडिए नगरमज्झम्मि ॥ २१॥ वइभारगिरिपरिसरे तह वाहि सवओ वहंतीसु । गिरिनिन्नगासु नचंतएसु सिहिमंउलेमु तहा ॥ २२ ॥ उइंडविजुदंडाडंबरपरिमंडिए दिसाचक्के । ददुरकुलारवाऊरिएसु नहविवरभागेसु ॥ २३ ॥ | मुथपिच्छसच्छरहिं समंतओ मालिए धरणिवलए । हरियंकुरेहिं वित्थारिएहिं जह नीलवत्थेहिं ॥ २४ ॥ धवलवलाहयपंतीनंचरणालंफियासु य दिसासु । सघालंकारधरा हिंडामि अहं जइ, कयत्थं ॥ २५ ॥ मन्नामि जम्ममेयं, अपूरमाणम्मि तम्मि संदेहे । जाया दुव्वलदेहा दरं विच्छायवयणा य॥ २६ ॥ अंगपडिचारियाहिं तं तदवत्थं पलोइय निवस्स । माहियमज जहा देव! देवी दीसइ निरभिरामा ॥ २७॥ इय देवीवुत्तंतं सोराया ससंभमो संतो । गतं तीए नमीये एवं भणिउं समाढत्तो ॥ २८ ॥ दुबारवेरियपराजिएसु वइरीसु मइ फुरतम्मि । कोणु पराभवमिहकाउमीसरो तुश मुविणेवि ? ॥ २९ ॥ पणयभंसो वि ममाउ नत्थि सइ जीवियाओ अहियाए । इच्छामेत्ताणंतरसंपाइयचिंतिय-1 स्थाए ॥ ३० ॥ तव चरणकमलभसरे सयले सयलाभिलासकरणसहे। देवि ! सहीलोगम्मि वि दढं सढत्तं न पेच्छामो ॥ ३१ ॥ तब आणाभंगोवि हु संभाविजइ न वंधुलोगम्मि । तह किंकरेसु किं किं करेसु इय जपमाणेसु ॥ ३२ ॥ संतो.
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