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श्रीउपदे
शपदे
॥१६५॥
नम्.
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सुहत्थिनामा उज्जेणीए ठिओ वहिं तेण। भणिया मुणिणो सवे गोयरगमणुम्मणा संता ॥२॥ जाएजह अज्ज जणालयाण
श्रीअव| मज्झम्मि साहुजणजोग्गं । वसहिं तेसिमहेगो संघाडो मंदिरम्मि गओ ॥ ३॥ भदाएँ सत्थवाहीऍ भिक्खणट्ठा सगउरवं न्तिसुकुमातीए । अन्भुढिओ य णमिओ य पुच्छिओ कस्स भे सीसा? ॥४॥ अजसुहत्थी अम्हं सामी वसहिं तयत्थमत्थेमो। इय भणिए पुलयंकुरविसट्टदेहाएँ तीऍ मुणी ॥५॥ अप्पाणं कयकिच्चं च मन्नामाणाएँ जाणसालाओ। अबावाराओ
बहुप्पयारमुणिजण समुचियाओ ॥६॥ संति च्चिय एयाओ अणुगिण्हह इय भणेउमुचिएणं । पडिलाभिया पभूयं भोयणहै पाणाइदाणेणं ॥ ७॥ साहूवि गुरुसगासे पडिकंतिरियावही निवेइंति । भयवं! भद्दाएँ गिहे उवलद्धा जाणसालाओ
॥८॥ कयभोयणा दिणंते संकेता वसहिमजहत्थिगुरू । बहुबालवुहभिक्खगभिक्खुप्पामोक्खगणजुत्ता ॥ ९ ॥ 8 पडिमाएँ कमेण जियंतसामिणीए कयम्मि वंदणए । पारद्धो जणबोहो अइदूरं महियसंमोहो ॥१०॥ इओ य-अत्थि है
सुभदाएँ सुओ सुकुमारो पउरभोगदुल्ललिओ । तत्तोवंतीविसए सुकुमालतमस्सऽभावाओ ॥११॥ अन्नया (त्थं) तस्सनामं अवंतिसुकुमालगो तओ जायं । अंतरियमूलनामं सवत्थुवलद्धवित्थारं॥१२॥ समजोवणाउ समधणगेहेहिंतो ४ समाणियेल्लाओ । समलावन्नगुणाओ समदेहपमाणजुत्ताओ॥ १३॥ बत्तीसकन्नगाओ महाविभूईएँ तेण परिणीया। सुपसन्नवयणकमलाउ पुन्नपन्भारलब्भाओ ॥१४॥ जुम्मं दोगुंदुगोब देवो जणणीचिंतिजमाणगिहकजो। ताहिं समं 2 विसयसुहं परिभुंजइ बुहजणाणुमयं ॥ १५॥ कइयाइ सो सुहत्थी मुणीसरो रयणिपढमपहरम्मि । वसहिविवित्तपएसे ॥१५॥ ठिओ विमाणस्स वुत्तंतं ॥ १६ ॥ नलिणीगुम्मस्स नवंबुवाहरवमणहरेण सहेणं । परियत्ति पयट्टो पूरियतसदिसिभागो