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सुमतिह
शपदे
श्रीउपदे
ठाविओ एगपक्खम्मि ॥९॥ तत्थारूढो राया भणिओ तेणाह पंथबोरीए । परिणयपउरफलाए वच्चामो भक्खणडाए 5॥१०॥णूणं णिखजाई ण ताई बोराई जेण वहमाणे । पंथे पंथियलोएण केणई णेव खद्धाणि ॥११॥ तब्भक्खणं
ण जुत्तं इय वुत्तुं सुमइणा स पडिसिद्धो। विन्नाणियाणि तबिहजणभक्खावणपओगेण ॥ १२॥ तस्स कणिकामाणगगु॥१३६॥ लपलघयकरिसलक्खणा वित्ती । तुद्वेण निवेण कया पढमपसाओत्ति पडिवन्ना ॥ १३ ॥ पन्नाथिरत्तपरिजाणणथमह
अन्नया पुणो भणिओ । रयणीए अहिवासिय टारं अइउद्धरागारं ॥ १४ ॥ तस्सोवणित्तुमेसो किल किक्काणो त्ति घेप्पड़ नवेसो। तेण मुहाओ पुट्ठो भागं जा पच्छिम ताव ॥ १५॥ खररोमोत्ति निसिद्धो मिउरोमाणो हवंति जं जच्चा । सच्चं
एस महल्लो वि नेव जाइलओ होइ ॥ १६ ॥ नरवतिणा सविसेसं सतोसचित्तेण सा कया दुगुणा । जा उ कणिकामाठाणगमाई पुबोइया वित्ती॥ १७॥ पुण अन्नदिणे कन्नाओ दोन्नि अहिवासियाउ पेसविया । का परिणिज्जउ एयासु तेण कुलजाणणाइकए ॥ १८॥ वयणपएसाओ जाव सोणिहाणं करेण तत्थेगा। सणियं २ पुट्ठा नहु खोभमुवागया किंचि,
१९॥ निल्लज्जजणणिजायत्तणेण जाया इमेरिसा एसा । इय परिचिंतिय वेसासुयत्ति काउं पडिनिसिद्धा ॥२०॥ दुइयाए तह फुसंतो बाढं रोसुब्भडेहिं वयणेहिं । निब्भच्छिओ न कुलओ अंधलग! जओ वि गयलज्जो ॥ २१॥ उत्तम-4 कुलसंभूया एसा कहमन्चहा सुसीलत्तं । कमलुज्जलमेवमिमं रन्नो विनिवेइयं तेण ॥ २२॥ महया वीवाहाडंबरेण वीवा- है हिया सतोसेण । दुगुणो कओ पसाओ पुव्वुत्तो माणगदुगाई ॥ २३ ॥ भणियमह सुमइणा देव! वणियपुत्तो तुम ण भंतित्ति । अम्हेसु विचिंतियभासगेसु कोवो न कायवो ॥ २४ ॥ नरवइणा संकियमाणसेण पुट्ठा रहम्मि नियजणणी।
993455085296495
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