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श्रीउपदे
शपदे ॥१११॥
चाणाक्यद्वारम्
मिया तस्स । पगओ परिणयणविही जलणो पज्जालिओ ताहे ॥७६॥ पारद्धं परियंचणमिमस्स पबइगराइणो जाहे। तद्देहगयं सहसा संकंतं तम्मि विसमुग्गं ॥ ७७॥ भणइ वयंस! मरिजा तप्पडियरणे कयायरो चंदो । जा जाओ ता भिउडी तिदंडिणा पयडिया भीमा ॥७८॥ तक्खणमेव नियत्तो सो पुण पंचत्तमागओ ज्झत्ति । जायाणि तस्स दोण्णि वि रजाणि सुहाण सज्जाणि ॥ ७९ ॥ नंदपरिवारपुरिसा अलहंता चंदगुत्तओ वित्तिं । लग्गा तत्थेव पुरे भुज्जो चोरि
कयं काउं॥८॥ मग्गइ चोरग्गाहं चाणको चिक्कणं परिभमंतो। नगरबहिं नलदामं कोलियमालोयए मासं ॥८१॥ से मूइंगलियाहिं घरं कुणंतमेयाहिं तस्स किल पुत्तो । डक्को सो परिकुद्धो तदुवरि मूलं निभालित्ता ॥ ८२॥ तासिं बिलं
कुसीए खणेण निद्दहइ जलणदाणेण । एयादन्नो न खमो मच्चिंतियसाहणे कोइ ॥ ८३ ॥ एवं तिदंडिणा चिंतिऊण सदाविओ निवसमीवे । कुसुमपुरारक्खपयं दिन्नं वीसासिया तेण ॥ ८४॥ विसभोयणदाणाओ सकुटुंवा विणिया, कयं नगरं । निच्चोरिकं कप्पडियगत्तणे पाविया भिक्खा ॥८५॥ गामे न जत्थ चाणक्कएण तिक्खं सआणमिच्छंतो। आएसमे-8
रिसं तत्थ देइ अंबेहि वंसाण ॥८६॥ कायबा वाडी चिंतियं च गामेल्लएहिं कहमेयं । जुज्जइ कहमपसाओ न हु एसोराउला दू एसो ॥ ८७ ॥ ता छिंदित्ता वंसे अंबगरुक्खाण निम्मिया वाडी । विवरीयाणाकारितणेण दोसं पयडिऊण ॥८८॥
वारनिरोहेण पलीविऊण गामो सवालवुड्डो सो। दहो दुवियड्डमइत्तणेण चाणकपावेण ॥८९॥ कोसनिमित्तं जूयं
जोगियपासेहिं जह कयं तेण । तह पुर्व चिय भणियं पुराणभावं गए तम्मि ॥ ९॥ अन्नमुवायं चिंतेइ कोसपरिवड&णम्मि चाणको । तो नगरपहाणाणं भत्तं मजं च वियरेइ ॥ ९१॥ मत्तेसु तेसु निन्भरमुद्वित्ता नच्चित्रं समाढत्ता। तह
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