________________
हारलं समं समेणं विभयामो पत्थिया लहुं तत्तो। अंतरपुरगामेसु नियमेणं संठवेंता ते ॥ ६० ॥ एगत्थ नगरमेगं न पडी
यनिविडपोरुसाणंपि । तेसिं सो परिवायगलिंगी पविसित्तु जोएइ ॥६१॥ वत्थूणि जाव दिठा इंदकुमारी उमाइरूवाओ। तासि पभावजोएण तं पुरं न पडइ कहिंचि॥६२॥ मायाए तेण नीणावियाओ पडियं ज्झडत्ति तं नयरं। रुद्धं पाडलिपुत्तं जाओ पउरो य संमद्दो ॥६३॥ तथाहि-खिप्पति तत्थ तिल्लाणि कत्थइ कत्थइ पुण वहति । बहुलोयनियरसंघारकारिण जंतसंघाया ॥ ६४ ॥ कत्थइ कढिणकुहाडप्पहारदढताडिया पुरकवाडा । विहडंति घडंता संकडाई पुरलोय विहियाई ॥६५॥जमजीहासरिसीओ सत्तीओ सत्तिमंतकरमुक्का । निवडंति झडत्ति जणं जमगेहे उवणमंतीओ॥६६॥ सालसिहराई कत्थइ महंतगिरिसिहरतुंगरूवाई । विज्जुझडप्पोवहयाई जेव निवडंति धरणीए ॥ ६७॥ आयण्णायड्डियचाचदंडमुक्काउ वाणसेणीओ। कत्थइ दोहंपि वलाण पाणपलयं पणामिति ॥ ६८॥ णाणायारधराओ पागारे तह पडंति खंडीओ। सन्नंति सुरंगसया पडंति सेल्लाइसत्थाई ॥ ६९ ॥ एवं गएसु कइवयदिणेसु भग्गम्मि नंदसेण्णम्मि । धम्मदुवारं नंदो लग्गो मग्गिउ महमिमेहिं ॥ ७० ॥ भणिओ एगरहेणं जं तीरसि नीणि तयं गिन्ह। तो सो दो भजाओ एग कण्णं धणं किंचि ॥ ७१ ॥ गिमिहत्तु नगरदारे जा पत्तो कन्नगाए ता खित्ता। दिट्ठी वहलविलासा चंदे पिउणा अणुन्नाया ॥७२॥ जाव रहम्मि विलग्गा खणेण सा चंदगुत्ततणयम्मि । ता भग्गा नव अरगा खणेण विमुहो स संजाओ॥७३॥ भणिओ तिदंडिणा मा निसेह एयं जओ नव जुगाई। पुरिसाणिमेत्थ काहंति फुरंतसत्ताणि ॥७४॥ पुरमज्झमइगएहि ठवियं रजं च दोहिं भागेहिं । नंदसुया विसभावियदेहा एगा नयणविसयं ॥ ७५॥ पवयगनिवस्स गया जाया इच्छा पणा