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श्रीउपदे-15 चिरं स बोलीणो। अन्ने पुण आयरिया भणंति जाओ सयं रयओ ॥४४॥ लग्गो पक्खाले वत्थाणि पहाणघो
चाणाक्यशपदे डगगएण । मग्गादवक्कमित्ता पुट्टो सो आसवारेण ॥४५॥ परिभाविय समयवलं भणियं चिट्ठइ सरस्स मज्झम्मि । एसो
द्वारम् 12 स चंदगुत्तो चिरं पलाणो य चाणको ॥ ४६॥ तेणावि तस्स हत्थे विहिओ अस्सो असिं च भूमीए । मोत्तूणं जा ॥११०॥
निगुडइ सलिलपवेसयामुयइ ॥ ४७ ॥ जाव य कंचुगमेसो स तेण खग्गेण तओ हओ मम्मे । जाओ जहा परासू
चडाविओ चंदगुत्तो तो॥४८॥ तम्मि तुरगे पलाया दोण्णिवि पंथे गयम्मि केवइए । एएण चंदगुत्तो पुट्ठो तव केरिस र समए ॥४९॥ चित्तं मइ विसए जम्मि दंसिओ तं सि वेरिपुरिसस्स । पडिभणइ चंदगुत्तो एयं मे चिंतियं तइया ॥५०॥
अज्जो चिय जाणइ सबमेव जावइ जहा जहा भई। चाणक्कस्सोवगयं कयविस्सासो ममं एसो ॥५१॥ जाओ। है। छुहाकिलंतो स चंदगुत्तो बहिं ठवित्ताणं । कत्थइ गामे तब्भत्तकारणा अइगओ मज्झे ॥५२॥ बीहेइ य नंदनिवस्स3 २ मा ममं कोइ एत्थ जाणेजा। दिवो तक्खणजिमिओ निग्गच्छंतो वहिं डोड्डो ॥ ५३॥ तो तस्सुदरं फालिय अविणहूँ ॐ कहिऊण दहिकरं। जेमाविओ स चंदो पत्ता अन्नत्थ गामम्मि ॥ ५४॥ रत्तिं भिक्खं हिंडइ चाणको थेरिगेहमणुपत्तो। है। तत्थ विसाले थाले विलेविया पुत्तभंडाण ॥ ५५॥ परिवेसिया इमीए तरलेणेक्केण पुत्तभंडेण । मज्झे छूढो हत्थो दह्रो
सो रोयए जाव ॥ ५६ ॥ ताए भन्नइ चाणकमंगलो तं सि पुच्छिया भणइ । पासाणि पढममेत्थं घेप्पंति तओ पुणो ८ मझं ॥ ५७ ॥ लद्धो तेण उवाओ पासेसु असाहिएसु कुसुमपुरं । नो गिज्झइ मज्झ तओ गओ स हिमवंतगिरिकूडं ॥११॥
॥५८॥ पवइओ तत्थ निवो मित्ती सुदिढा समं कया तेण । भणइ समयम्मि पाडलिपुत्ते नंदं वसे कुणिमो ॥ ५९॥
ASOSIDARIPASSOS