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जड पर इमं गन्भं । मम देहि चंदविं पाएमि पडिसुयं तेहिं ॥ २८॥ पत्ते पुन्निमदिवसे वियडो पडमंडवो कओ छिहं।। कयमस्म मज्झभागे पत्ते तो मज्झरतम्मि ॥२९॥ जं जंरसालुदवं तं तं मीलित्तु भरियखीरस्स । थालं तक्खणसुत्तुट्टियाए सहाविया भणिया ॥३०॥ पुत्ते ! पिच्छसु चंदं पिवसु य जा पाउमुज्जया ताव । पच्छन्नठिओ पुरिसो मंदं छाएई तं छिदंड 1॥३१॥ अवणीओ डोहलओ कमेण जाओ सुओ कयं नामं । जह एस चंदगुत्तो पुत्तो चंदस्स पाणाओ॥ ३२॥ सो संवहद पइदिवसमेव रजाणुसारिचरियपरो । चाणको अस्थत्थी हिंडइ महिमंडलमसेसं ॥ ३३ ॥ तह तविहपवयमाइए ठाणेस मग्गए निउणं । रुप्पाइधाउविविहाणि ओसही रयणमाईणि ॥ ३४ ॥ अन्नम्मि दिणे सो चंदगुत्तो चेडो रमेइ चेडेहिं । सद्धिं निवनीईए बाढं तदणुग्गहाइपरो ॥ ३५॥ एत्थावसरे पत्तो चाणको तं निएइ रममाणं । दिजउ अम्हवि किपित्ति मग्गिओ तेण सो भणइ ॥ ३६॥ एयाओ गावीओ लएहिं, (चाणक्यः) मा कोइ मं न मारेजा । (चन्द्रगुप्तः) एमा वसुंधरा वीरलोयभुजा न उ कमेण ॥ ३७॥णायमणेणं जह कालपत्तमस्सत्थि वयणविन्नाणं । कस्सेस सुओ पुच्छइ कहियं परिवायगस्सत्ति ॥ ३८ ॥ चाणक्केण निवेइयमेसो परिवायगो अहं चेव । वच्चामो रायाणं करेमि तं इय पलाणा दो ॥ ३९ ॥ मिलिओ अवद्धमूलो लोगो उवरोहियं च कुसुमपुरं । णंदेणामंदबलेण सो पलाणो को सहसा ॥४०॥ लग्गो अणुमग्गेणं नंदो चाणक्कयस्स अस्स गओ। कालन्नुणा य तेणं पउमसरे वोलइत्ताणं ॥४१॥ दिन्नं
पोइणिपत्तं सीसपएसम्मि चंदगुत्तस्स । जह केणावि न नज्जइ कयजत्तेणावि एस इमो॥४२॥ विहियपुरीसुस्सग्गो सय६ मवि तीरे सरस्स आयमइ । जा ता पुच्छइ एगेण रे गओ कत्थ चाणको ? ॥ ४३ ॥ अन्नायतस्सरूवस्स तस्स भणियं ॥
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