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असग्झरोगेण । विहुरियदेहा देवी कीणासगिहं समणुपत्ता ॥३॥राया सोय पर चसो न सरीरट्टिईपि कुणइ जा |ताहे। भणिओ मंतीहिं देव! नियसु जगसंठिई एसा ॥४॥जह सस्साई जायाई कासवो लुणइ तह जिया एए । जाया जाया लुचंति मनुणा ण य परित्ताणं ॥ ५॥ एवं भणिओ वि भणाइ जाव देवीए नो सरीरहिई । विहिया ताव मएवि दुनो कायवा तो तेहिं॥६॥ कयकूडकप्पणेहिं भणिओ एगो नरो जहा तुमए । "रायसभाए राया भणिययो देव देवीए ॥ ७॥ पेसविओ सग्गाओ अहं जहा देव कुसलवुत्तंतं । गेण्हसु एजसु य ममंतियम्मि रायाए तो भणियं ॥ ८॥ देवी चिट्ठइ कुसलेण देव! आमंति मंतिसत्येण । वुत्तं देवीए कए पेसिज्जउ अंगसिंगारो ॥९॥ एयरस करेणं जण कुणइ देवी ठिई सरीरस्स । तो तम्मुहाओ रन्ना उवलद्धे देविवुत्तंते ॥१०॥ कडिसुत्तादप्पिणणे कए तओ चाहि निग्गए तम्मि । भागे कार्य मंतीहिंघेप्पए पडदिणमिमेहि ॥११॥ अह अन्नदिणे एगो धत्तो उ
देवीकुमलं परिकहइ लहइ तह चेव सिंगारं॥ १२॥ नहूँ कजं मंतीहिं चितियं भासियं च एगेण । धीरा होह अहं हो एकजम्मि इमं जइस्सामि ॥ १३ ॥ संपाडिय तं सवं रायसमीवं उवढिओ भणइ । कह एस देव! जाही (राजा)
कह अन्नदिणेसु गच्छंती ॥१४॥ 'मन्त्री'-जह देव गया देवी (राजा) तह चेव इमोवि पेसवेययो । इय नरवइणा भणिए चउखंधगओ कओ झत्ति ॥ १५॥ आढत्तो मुहरेणं एगेणुवहासबुद्धिसारेणं । रायाए समक्खं चिय भणि देवी इमं वच्चा ॥ १६ ॥ जह तुज्झ कए, राया अईव उक्कंठिओ तहा भणइ । अन्नेणावि ओयणमिह म माहणिति ॥ १७ ॥ तेणुत्तं विन्नाणं नस्थि ममं तारिसंभणामि जओ। एवं विहमत्थं जाणओवि नो वयणपइयत्तं ॥१८॥