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वावाच आरोनिहत्थीवरीमा सोम
श्रीउपदे- अह अन्नया ओ आलाणखंभाओ॥८१॥ अनलगिरी निष्फडिओ समुग्गउग्गाढमयभरो संतो । रन्ना अभओ किं पारिणामिशपदे कीरउत्ति परिपुच्छिओ भणइ ॥ ८२॥ गायओ उदयणराया भणिओ सो भणइ कन्नगाए समं । भद्दवई आरूढो करिणं ४ क्या श्री
गायामि तह विहियं ॥ ८३ ॥ अंतरदिन्नपडेहिं गइओ हत्थीवरो इमो दुइओ। लद्धो भएण तह तम्मि चेव निख्कित्तओ अभय ६० ॥९६॥
विहिओ॥८४॥ मुत्तघडियाउ चउरो पुचिं आरोविया उदयणेण । वासवदत्तासहिओ पलाइओ नियपुराभिमुहो ॥८५॥ संनज्झइ जाव करी अनलगिरी ताव अइगया करिणी । पणुवीसजोयणाई संनद्धो पिट्ठओ लग्गो ॥८६॥ जाव अदूरपदेस पत्तो सो ताव पाडिया घडिया । लग्गो उस्सिंघेउं करिणीमुत्तं तओ झत्ति ॥ ८७॥ पणुवीसजोयणाई 8 अन्नाणि गयाउ साउ इय तिन्नि । जा भिन्ना घडियाओ ता सो कोसंबिमणुपत्तो॥ ८८॥ जाया य अग्गमहिसी सा तस्स टू पिया य जीवियाओवि । एवं कित्तियमेत्ते कालम्मि गए अवंतीए ॥ ८९॥ असुरग्गी उन्भूओ सो धूलीउवलइट्टगा
हिंपि । जलइ च्चिय एवं दारुणम्मि पत्ते नयरिदाहे ॥९०॥ चिंतइ राया केरिसमसमंजसमिहिमावडियमित्थ । पुट्टो 5 अभओ पभणइ जाणगजणभासियं एयं ॥९१॥ प्रतिशाठ्यं शठस्येह विषस्य विषमौषधम् । अग्नेरग्निर्विजानीयाज्जाड्यस्योष्णप्रयोजनम् ॥ ९२ ॥ विहिओ विजाइअग्गी विझाओ तप्पओगओ एसो। एवं लद्धो तइओ वरो निहित्तो तहच्चेय
॥९३ ॥ उजेणीए अह अन्नया उ असिवं समुट्ठियं भीमं । रायाभयमापुच्छइ सो एवं तं पडिभणाइ ॥ ९४ ॥ अत्था5 णीए अभंतराए सिंगारसारदेहाओ । देवीओ इंतु तुज्झे पडिगाहियरायलंकारे ॥ ९५॥ जा नियदिट्ठीए जिणेइ तं लहुं ॐ ॥९६॥ ६ मम कहेह तह चेव । विहियं अहोमुहीओ ठियाओ सपाओ मोत्तूण ॥ ९६॥ देविं सिवं निवेइयमेयं तव तुल्लमाउगाइ