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मित्तो एगो विजाहरो आसि ॥ ३३ ॥ तेण समं मित्तीए थिरत्तमिच्छंतओ नियं भगिणिं । सेणा नाम पयच्छर करेइ गम्यं निबंधं च ॥ ३४ ॥ जह एसा अश्नासिं पुवमहेलाण उवरि ठवेयषा । सुविणेवि विप्पियं परिहरिण एयाए कयपओ ॥ ३५ ॥ सावि य सोहग्गगुणेण तस्स दूरं मणपिया जाया । पुचंतेउर विजाहरीउं पर विहियकोवा ॥ ३६ ॥ भूगोयराए एईए अम्हं माणो कहं खयं नीओ । इय चिंतिय लद्धछला मारिति विसाइजोगेण ॥ ३७ ॥ तीए धूया वाला मा जणगेणं विणा सभीएण । उवणीया सेणियनरवइस्स सोयं च सो पत्तो ॥ ३८ ॥ जोबणभरमारूढा दिन्ना अभयस्स | मावि तस्स पिया । उच्छलियमच्छरा सेसिगाओ छिदं निहालिंति ॥ ३९ ॥ मायंगीओ ओलग्गियाओ बहुसिद्धखुद्द विजाओ । ताओ भणति कज्जं किं अम्हाहिं, तओ ताहिं ॥ ४० ॥ विजाहरस्स तणया अम्हं ओहावणं बहुं कुणइ । ता | जायह जह न एसा हवइत्ति निवेइयं तासिं ॥ ४१ ॥ उच्छोभगं पदेमो जहा विरज्जइ पई इमीए लहुं । इय परिभा | विय विहिया मारी नयरीए अघोरा ॥ ४२ ॥ लोगो लग्गो मरिजं मायंगीओ भएण तो भणिया । लहुं लहह मारिका| रणमेयं अंगीकयं ताहिं ॥ ४३ ॥ देवीए तीए सेज्जाहरम्मि माणुसकरं कमाईया । विउवित्ता निक्खित्ता मुहं च विहियं रुहिरलित्तं ॥ ४४ ॥ रन्नो निवेइयं देव ! नियघरे चैव मग्गहा मारिं । जाव गविट्ठा दिट्ठा सा रक्खसरूविणी तेण ॥४५॥ | पुणरवि मायंगीओ आइट्ठाओ विहीए घाएह । रत्तीए जह न याणइ कोवि कहंचिवि नयरिलोओ ॥ ४६ ॥ ताहिं पुण | सा निद्दोसिग त्ति एयं मणे धरंतीहिं । ईसिं जायदयाहिं नीया तद्देसपजंतं ॥ ४७ ॥ भेसित्ता परिचत्ता दिणमुही रोविरी पलायंती | वियडमडविं पविट्ठा दिट्ठा तत्तावसजणेण ॥ ४८ ॥ पुट्ठा कओ सि भद्दे ! सिहं तीएवि सयलनियचरिअं ।