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अपणदिणे रायपुरो वररुइणा गाहियं नियं कवं। पासहिओ अमच्चो भणाइ अवो! सुपढियं ति ॥१०॥ तो अट्रमयंग्ता दीनाराणं दवावियं तस्स । जाया पइदिवसं चिय एत्तियमित्ता य से वित्ती॥११॥ अत्थक्खयं पलोइय भणियममण देव ? किमिमस्म । देहित्ति तेण वुत्तं सलाहिओ जंतए एसो ॥१२॥ भणियममच्चेण मए अविणहं पढाइ पुगकति, सलहियमेयरस तओ रत्ना पुट्ठो कहं एवं ॥ १३ ॥ तेणं भणियं मझंधूयावि पढंति पढइ जं एसो। उचियममए य पत्तो पढणत्यं सो निवस्संते ॥ १४ ॥ जवणियअंतरियाए धरिया मंतिस्स सत्त धूयाओ। जक्खाइ पढमवाराइ अहिगयं से पढ़तस्स ।। १५ ।। तो तीए नरवइणो पुरओ अविणट्टमुच्चरंतीए । वाराहिं दोहिं अहियं वीआए तीइ नम्मि ॥ १६ ॥ तइयाए वाराए तइयाए अहिगयं च वृत्तं च । एवं वारावुड्ढीइ सेसगाहिपि उवलद्धं ॥ १७ ॥ तो विएणं रना दुवारमवि वारियं वररुइस्स । पच्छा सो गंगाए जंतपओगेण दीणारे ॥ १८॥ ठविऊण लेइ भणइ य शुदतुहा देइ मज्झ गंगत्ति । कालंतरेण रन्ना सोउं सिटुं अमच्चस्स ॥१९॥ तेणं भणियं जइ मह पुरो इमा देइ ता वरं देव15 गचामो य पभाए गंगाए पडिसुयं रन्ना ॥ २०॥ अह मंतिणा वियाले पच्चइओ नियनरो समाइहो । गंगाए पच्छन्नो अमुजं वररुईसलिले ॥२१॥ किंपुण ठवेइ तं गिहिऊण मह भद! उवणमेजासि । गंतुण नरेण तओ आणीया दम्मपोटलिया ॥ २२ गोसम्मि गओ नंदो मंतीइ पलोइओ थुणंतो सो। गंगजलम्मि निवुडो थुइअवसाणे य तं जंतं ॥ २३ ॥ करचरणेहि सुनिरंपि घट्टियं जाव वियरइ न किंपि । अच्चंतविलक्खत्तणमणुपत्तो वररुई ताव ॥ २४ ॥ पायदिया सयालेण रावणो सा य दम्मपोद्दलिया। हसिओ य राइणा सो कुविओ मंतिस्स उवरि तओ ॥ २५ ॥
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