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समरहट्यमंडलगि गहिरे वणंतरे तत्थ । संजाया वद्धठिई हिमगिरिरपणे मइंदच ॥ २०॥ फलफुलकंदभोयणरयाण निझरिजलं पियंताणं । चिंतताणं सहलत्तमप्पणो जणगविणयाओ॥ ११॥ परउवयारे चित्ते तहा तहा निच्चमायरंताण । मीयाविहियमरीरटिईण संतुचित्ताण |॥ १२॥ वचंति वासरा ताण जाव, लंकाहिवेण तो नायं । पुबिंपि य सीयाए
आमददवाणुराएण ॥ १३ ॥ जह रामो जणगनिवंगयाइ जुत्तो वणम्मि परिवसइ । पारद्धो तग्गहणोवाओ छलचारिणा ठानेण ॥ १४॥ कत्थाइ समए अश्वाउलाण तेणेव तेसि विहियाण । पुप्फगएणं सा रावणेण लंकाउरि नीया ॥ १५॥। लानियठाणमागया जाता ते सीयं कहिंवि न नियंति । सवस्सवंचिया इव सोगं च पराभवं च गया ॥ १६॥ सुग्गीवसहा
पहिं इणुवंतचरोयलद्धवृत्तंतो। गंतुं लंकानयरिं सर्वधवो रावणो निहओ ॥ १७॥ उवलद्धा जणगसुया तिलतुसमित्तं अरांडियायारा। चोदसवरिसाणंते समुवज्जियपोढजसपसरा ॥१८॥ उज्झाउरिं च पत्ता परलोगगएण विरहियं पिउणा । भरहेणं निरवज परिचिंतियरजकज्ज ते ॥ १९॥ जाओ रजभिसेओ लक्खणकुमरस्स रामणुनाए । रजसुदमणुरयाणं जा जति दिणा सुहमणाण ॥२०॥ अलिएण य बलिएण य ताहे लोएण जणगतणयाए । आरोविओ महतो सीलक्सलणाको अयसो ॥ २१ ॥ जहा-परमहिला लोलमणे सघत्थेसुवि विरुद्धसंचारे । कह रावणम्मि तग्गिदगयाद मुइमीलमेयाए ॥ २२ ॥ नियजायासुइभावं रामो जाणंतओवि जणवाया। किंचि अवन्नं दंसेइ सा गया वहु शतभो सोगं ॥ २३ ॥ अंतेउरमझगया अहन्नया मच्छरं वहंतीए । होउ खए खारो इय चिंतंतीए सवत्तीए | ॥ २४ ॥ भणिया दले। स रावणराया स्वेण विजियतेलोको । इय वइ जणवाओ ता लिहसु स केरिसो आसि
ज.प.म.?