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अाचाराग सूट
गृहस्थ भिक्षु को ठंडा पानी लाकर देने लगे तो वह उसे सटोप जान कर न ले पर यदि अचानक अनजान में या जाय तो उसको फिर (गृहस्थ के बर्तन के) पानी में डाल दे, (बढि न डालने हे तो कुए आदि के पानी मे टाल दे) या गीली जमीन पर डाल दे ! ऐसा न हो सके तो पानी सहित उन पात्र को ही छोड़ दे।
भिक्षु अपने गीले पात्र को पोछे या तपाचे नहीं ।
भिक्षु गृहस्थ के घर भिक्षा लेने जाते समय पान साथ में ले जावे ...यादि वस्त्र अध्ययन के सूत्र १५०-१५१, पृष्ट १०८१०६ के अनुसार।
भिक्षु या भिक्षुणी के प्राचार की यही सम्पूर्णता है.. यादि भापा अध्ययन के अन्त-पृष्ट १०४ के अनुसार ।