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श्राचाराग मूत्र
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और जानते हुए भी, मैं जानता है, ऐसा तक न कहे। हमी प्रकार किसी पड़ाव डाले हुए लार के सम्बन्ध मे कोई पूछे, या श्रागे कौनसा गांव श्रावेगा, यह पूछे, या अमुक गांव जाने का गम्ता कितना लम्बा है, यह पूछे तो इन सब प्रश्नों के सम्बन्ध में ऐसा ही करे। [१२६] ___ कीचड़, धूल से भरे हुए पैरों को साफ करने के विचार से चलने समय पैरो को इधर-उधर करके घास तोढते हुए, दबाते हुए न चले ! पहिले ही मालुम करके थोटी हरी वाले मार्ग पर ही सावधानी से चले । [१२५]
मार्ग में किला, खाई, कोट दरवाजा श्रादि उतरने के स्थान पडने हो, और दूसरा रास्ता हो तो इन छोटे रास्तों से भी न जाये। दूसरा रास्ता न होने के कारण उसीसे जाना पड़े तो झाड़, गुच्छ, गुल्म, लता, बेल, घास, झंझाइ श्रादिको पकड कर जाये या कोई राहगिर ना रहा हो तो उसकी सहायता मांग ले। इस प्रकार सावधानी से उतर कर आगे चले। [१५]
मार्ग में धान्य, गाडियाँ, रथ और देश या विदेश की सेना का पड़ाव . देसकर दूसरा रास्ता हो तो इस छोटे रास्ते से भी न जावे । दूसरा रास्ता न होने से उसी से जाना पड़े और सेना का कोई श्रादमी ग्राफर कहे कि, 'यह तो जासूम है, इसको पकड़ कर ले चलो,' तो वह भिक्षु उस समय व्याकुल हुए बिना, मन में श्राक्रोश लाये बिना अपने को एकाग्र रखकर समाहित करे। [१२५]
जिस मार्ग में सीमान्त के अनेक प्रकार के चोर, म्लेच्छ और प्रनार्य आदि के स्थान पडते हो या जहां के मनुष्यो को धर्म का भान कराना कठिन और अशक्य हो और जो मनुष्य अकाल में