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________________ गाथा १५० (२) स्कन्ध । प्रश्न १५- विस्तारसे पुद्गल कितने प्रकारके कहे गये है ? . उत्तर-- न सक्षेप न अतिविस्तारसे पुद्गल २३ प्रकारके कहे गये हैं- (१) अणु (२) संख्याताणुवर्गणा, (३) असख्याताणुवर्गणा, (४) अनन्ताणुवर्गणा, (५) ग्राह्याहारवर्गणा (६) ग्राह्यभाषावर्गणा, (७) ग्राह्यमनोवर्गणा, (८) ग्राहतैजसवर्गणा, (६) कार्माणवर्गणा (१०) अग्राह्याहारवर्गणा, (११) अग्राह्यभाषावर्गणा, (१२) अग्राह्यमनोवर्गणा, (१३) अग्राह्य तैजसवर्गणा, (१४) ध्र ववर्गणा, (१५) सान्तरनिरन्तरवर्गणा, (१६) सान्तरनिरन्तरशून्यवर्गण (१७) प्रत्येकशरीरवर्गणा, (१८) ध्र वशून्यवर्गणा, (१९) वादर निगोदवर्गणा, (२०) वादर निगोदशून्यवर्गणा, (२१) सूक्ष्मनिगोदवर्गणा, (२२) नभोवर्गणा, (२३) महास्कन्धवर्गणा । प्रश्न १६- इन २३ प्रकारके पुद्गलोका संक्षिप्त विभाग क्या है ? उत्तर- इनमे अणु,तो शुद्ध पुद्गल द्रव्य है शेषके २२ स्कन्ध है । उन बाईस स्कन्धं मे संख्याताणुवर्गणा असख्याताणुवर्गणा व अनन्ताणुवर्गणायें ३ सामान्य है, संख्याको अपेक्षा है । ग्राह्याहारवर्गणा, ग्राह्यभाषावर्गणा, ग्राह्यमनोवर्गणा, ग्राह्यतेजसवर्गणा और कार्माणवर्गण ये ५ जीव द्वारा ग्राह्य है ? शेषके १४ को उनके नामपरसे उनका प्रयोजन जान लेन चाहिये। . . प्रश्न १७- धर्मद्रव्यका क्या स्वरूप है ? उत्तर-धर्मद्रव्य आदि शेष ४ अजीवद्रव्योका स्वरूप अलगसे गाथावोंमे आगे कहा जावेगा इस कारण वहाँ ही इस सबका विवरण होगा। प्रश्न १८- इन सब द्रव्योका आकार क्या है ? उत्तर-इन द्रव्योका प्राकार अपने अपने प्रदेशोरूप है । मूर्त आकार केवल पुद्गल. द्रव्यका ही है। प्रश्न १६- पुद्गलद्रव्य मूर्त क्यो है ? उत्तर-पुद्गलमे रूप रस, गन्ध और स्पर्श ये चार गुण और इनके परिणमन पाये जाते है, इसलिये पुद्गलद्रव्य मूर्त है । रूप, रस, गन्ध और स्पर्श इन चारोके एकत्वको मौत कहते है। प्रश्न २०-- धर्म, अधर्म, आकाश और काल अमूर्त क्यो है ? उनर-धर्म, अधर्म, आकाश और काल ये चारो द्रव्य रूप, रस, गन्ध और स्पर्शसे रहित है अतः ये अमूर्त है। प्रश्न २१- परमाणुका स्कन्धसे बन्ध क्यो हो जाता है ? उत्तर- एक परमाणुका स्कन्धसे बन्ध नहीं होता किन्तु स्कन्धका स्कन्धके साथ
SR No.010794
Book TitleDravyasangraha ki Prashnottari Tika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSahajanand Maharaj
PublisherSahajanand Shastramala
Publication Year1976
Total Pages297
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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