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________________ r- 1ner द्रव्यसंग्रह-प्रश्नोत्तरी टीका मे अनन्नज्ञान, अनन्तदर्शन ये दो गुण है अथवा अनन्तज्ञान, अनन्तदर्शन, अनन्तमुख व अनन्तवीर्य ये चार गुण है। प्रश्न १७- मध्यमपद्धतिसे सिद्धभगवानमे कितने गुण है ? उत्तर-सिद्धभगवानमे ८ गुण है--[१] परमसम्यक्त्व, ]ि केवलज्ञान, [३] केवलदर्शन,' [४] अनन्तवीर्य, [५] अनन्तसुख, [६] अवगाहनत्व, [७] सूक्ष्मत्व और [२] अगुरुलघुत्व । प्रश्न १८- परमसम्यक्त्व किसे कहते है ? उत्तर- समस्त द्रव्य, गुण, पर्यायांके विषयमे विपरीत अभिप्रायरहित सम्यक्त्वरूप परिणमनको परमसम्यक्त्व कहा है । इस सम्यक्त्वमे चारित्रमोहजनित दोषका भी सम्बध न होनेसे तया उपशम, क्षय, क्षयोपशमादि निमित्त न रहनेसे एव किवलज्ञानका साथ होनेसे परमसम्यक्त्व नाम कहा है । इसे परमावगाढ सम्यक्त्व भी कहते हैं । प्रश्न १६-- परमसम्यक्त्व कैसे प्रकट हुआ? उत्तर-- शुद्धात्म रुचिस्वरूप निश्चयसम्यक्त्वकी पहिले भावना व परिणति हुई, जिसके ये गुस्थान फनमे यह परमसम्यक्त्व प्रकट हुआ। प्रश्न २०-- केवलज्ञान किसे कहते है ? उत्तर-लोकालोकवर्ती समस्त पदार्योंको समस्त पर्यायो सहित एक साथ जानने वाले ज्ञानको केवनज्ञान कहते है। प्रश्न २१-केवलज्ञान कैसे प्रकट हुआ है ? उत्तर-अविकार अखण्ड स्वके सवेदनको स्थिरताके फलस्वरूप यह केवलज्ञान प्रकट हुप्रा। प्रश्न २२-केवलदर्शन किसे कहते है ? उत्तर-लोकालोकवर्ती समस्त पदार्थोमे व्यापक सामान्य प्रात्माके प्रतिभाम करते वाले चैतन्य प्रकाशको केवलदर्शन कहते हैं । प्रश्न २३ क्षेत्रलदर्शन कैमे प्रकट हुआ ? उत्तर-निविकल्प निज शुद्धात्मतत्त्वके अवलोकनके फलस्वरूप यह केवलदर्शन प्रकट हुप्रा। प्रश्न २४-अनन्तवीर्य किसे कहते है ? - उत्तर- अनन्त पदार्थोके ज्ञान आदि समस्त गुणविकामका अनन्त सामर्थ्य प्रकट होने को अनन्तवीर्य कहते हैं। प्रश्न २५-अनन्तवीर्य कैसे प्रकट हुआ?
SR No.010794
Book TitleDravyasangraha ki Prashnottari Tika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSahajanand Maharaj
PublisherSahajanand Shastramala
Publication Year1976
Total Pages297
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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