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द्रव्यसग्रह-प्रश्नोत्तरी टीका प्रश्न ३-मिथ्यात्व किसे कहते है ?
उत्तर-- मोक्षमार्गके प्रयोजनभूत ७ तत्त्वोके यथार्थ श्रद्धान नहीं होने को मिथ्यात्व कहते है।
प्रश्न ४- सासादनसम्यक्त्व किसे कहते है ?
उत्तर--अनन्तानुबन्धी क्रोध, मान, माया, लोभमे से किसी एक कषायका उदय होने से प्रथमोपशम सम्यक्त्वसे तो गिर जाना और मिथ्यात्वका उदय न आ पानेसे मिश्यात्व न होना इस अन्तरालवर्ती अयथार्थ भावको सासादनसम्यक्त्व कहते है।
प्रश्न ५-~-सम्यग्मिथ्यात्व किसे कहते है ? ___ उत्तर-जहाँ मिले हुए दही गुडके स्वादकी तरह मिश्र परिणाम हो जिन्हे न तो केवल सम्यक्त्वरूप कह सकते है और न मिथ्यात्वरूप ही कह सकते है, किन्तु जो सम्परिमथ्यात्व रूप हो उन परिणामोको सम्यग्मिथ्यात्व कहते है।
प्रश्न ६-अविरतसम्यक्त्व किसे कहते हैं ?
उत्तर-- जहां सम्यक्त्व तो प्रकट हो गया, किन्तु एकदेश अथवा सर्वदेश किसी भी प्रकारका सयम प्रकट न हुआ हो उसे अविरतसम्यक्त्व कहते है ।
प्रश्न ७--देशविरत किसे कहते है ?
उत्तर-जहां सम्यग्दर्शन भी प्रकट है और एकदेशसयम याने सयमासयम भी हो गया है उस परिणामको देशविरत गुणस्थान कहते है।
प्रश्न -प्रमत्तविरत गुणस्थान किसे कहते है ?
उत्तर-जहां सर्वदेशसयम भी प्रकट हो गया, किन्तु मज्वलनकषायका उदय मद न होनेसे प्रमाद हो उसे भावप्रमत्तविरत गुणस्थान कहते है।
प्रश्न ६-प्रमादका तात्पर्य क्या आलस्य है या अन्य ?
उत्तर- उपदेश, विहार, आहार, दीक्षा, शिक्षा आदि शुभोपयोगका राग उठना आदि प्रमादका तात्पर्य है।
प्रश्न १०-अप्रमत्तविरत गुणस्थान किसे कहते है ?
उत्तर-जहां संज्वलनकषायका उदय मद हो जानेसे प्रमाद नहीं रहा उस परिणाम को अप्रमत्तविरत गुणस्थान कहते है ।
प्रश्न ११- अप्रमत्तविरतके कितने भेद है ?
उत्तर- अप्रमत्तविरतके २ भेद है--(१) स्वस्थान अप्रमत्तविरत, (२) सातिशय अप्रमत्तविरत ।
प्रश्न १२-- स्वस्थान अप्रमत्तविरत किसे कहते हैं ?