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________________ द्रव्यसग्रह- प्रश्नोत्तरी टीका. उत्तर- जो जीव निगोदसे निकलकर अन्य स्थावरकायोमे या त्रस जीवोमे, उत्पन्न हो गये थे, किन्तु पुन. निगोदमे आ गये है उन्हे इतरनिगोद कहते है। प्रश्न २६-वादर और सूक्ष्म भेद क्या अन्य स्थावरकार्योंमे भी होता है ? उत्तर--प्रत्येकवनस्पतिमे तो वादर सूक्ष्म भेद नही होता, क्योकि वे वादर ही होते है । पृथ्वीकाय, जलकाय, अग्निकाय व वनस्पतिकाय- इन चारोके वादर और सूक्ष्म भेद होते है। प्रश्न २७-- प्रत्येकवनस्पतिकाय जीवोकी कितनी अवगाहना होती है ? उत्तर-अगुलके सख्यातवे भागसे १००० योजन तककी अवगाहना होती है। १००० योजनकी अवगाहना स्वयभूरमणसमुद्रमे कमलकी है। , प्रश्न २८-साधारणवनस्पतिकाय जीवोकी कितनी अवगाहना होती है ? उत्तर-- अगुलके असख्यातवे भाग प्रमाण साधारणवनस्पतिकाय अर्थात् निगोद जीवो की अवगाहना होती है। प्रश्न २६-स्थावर जीव किन्हे कहते है ? . उत्तर-जिन जीवोके एक स्पर्शनइन्द्रिय ही होती है और अङ्गोपाङ्ग नही होते, उन्हे स्थावर जीव कहते है । उक्त सभी पाँचो कायके जीव स्थावर है । प्रश्न ३०-त्रम जीव किन्हे कहते है ? उत्तर-जिन जीवोके स्पर्शन रसना, ये दो, स्पर्शन, रसना, घ्राण ये तीन, स्पर्शन, रसना, घ्राण, चक्षु ये चार अथवा स्पर्णन, रसना, घ्राण, चक्षु और श्रोत्र ये पात्र इन्द्रिया हो उन्हे त्रस जीव कहते है। इसी कारण त्रस जीव चार प्रकारके है-(१) द्वीन्द्रिय, (२) श्रीन्द्रिय, (३) चतुरिन्द्रिय और (४) पञ्चेन्द्रिय । ' ' ' प्रश्न ३१-द्वीन्द्रिय जीव किन्हे कहते है ? उत्तर-स्पर्शनेन्द्रियावरण व रसनेन्द्रियावरण कर्मके क्षयोपशमसे एव वीर्यान्तराय कर्मके क्षयोपशमसे व अगोपांग नामकर्मके उदयसे जिनका दो इन्द्रिय वाले कार्योंमे जन्म होता है उन्हे द्वीन्द्रिय कहते है-- जैसे शख, लट, केंचुवा, जोक, सीप, कौडो आदि । प्रश्न ३२-द्वीन्द्रिय जीवोकी देहकी कितनी अवगाहना है ? . उत्तर-अगुलके असख्यातवें भागसे लेकर १२ योजन तककी अवगाहना होती है। १२ योजनकी अवगाहना वाला शख अन्तिम स्वयभूरमण समुद्रमे होता है । प्रश्न ३३- त्रीन्द्रिय जीव किन्हे कहते है ? उत्तर-स्पर्शनेन्द्रियावरण, रसनेन्द्रियावरण, घ्राणेन्द्रियावरणके क्षयोपशमसे तथा वीर्यान्तरायके क्षयोपशमसे एव अगोपाग नामकर्मके उदयसे तीन इन्द्रिय वाले कायमे जिनका
SR No.010794
Book TitleDravyasangraha ki Prashnottari Tika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSahajanand Maharaj
PublisherSahajanand Shastramala
Publication Year1976
Total Pages297
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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