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________________ द्रव्यसंग्रह प्रश्नोत्तरी टीका उत्तर- जिन मुनिराजोके ६ माह ग्रायु शेष रहनेपर केवलज्ञान उत्पन्न होता है उन सयोगकेवलियोके केवलिसमुद्घात होता है । इसके अतिरिक्त कुछ प्राचार्य के अन्य भी मत है । निष्कर्ष यह समझिये कि कुछ बिरलोको छोड़ सभी सयोगकेवलियोके समुद्घात होता है । प्रश्न २७ - केवलिसमुद्घातमे दण्डसमुद्घात किस तरह होता है ? उत्तर- सयोगकेवली यदि आसीन हो तो आसन प्रमाण याने देहके त्रिगुण विस्तार प्रमाण और यदि खड्गासन से स्थित हो तो देह विस्तार प्रमाण चौडे प्रात्मप्रदेश निकलते है श्रीर ऊपरसे नीचे तक वातवलयोके प्रमाणसे कम १४ राजू लम्बे फैल जाते है । प्रश्न २८ - कपाटसमुद्घान किस तरह होता है ? ५२ उत्तर - दण्डसमुद्घातके ग्रनन्तर अगल बगल चौडे हो जाते है । यदि भगवान पूर्वाभिमुख हो तो ऊपर, मध्यमे, नीचे सर्वत्र वातवलयप्रमाणसे कम ७-७ राज प्रमाण श्रात्मप्रदेश फैल जाते है और यदि भगवान उत्तराभिमुख हो तो वातवलय प्रमाणसे हीन ऊपर तो एक राजू, ब्रह्मक्षेत्रमे ५ राजू, मध्यमे १ राजू व नीचे ७ राजू प्रमाण चौडे हो जाते है | प्रश्न २६ - प्रतरसमुद्घात किस प्रकार होता है ? उत्तर- इस समुद्घातमे सामने व पीछे जितना लोकक्षेत्र बचा है उसमे वातवलय प्रमाणसे हीन सर्वलोकमे फैल जाते है । प्रश्न ३० - लोकपूरण समुद्घात मे क्या होता है ? उत्तर- इसमे श्रात्मप्रदेश वातवलयके क्षेत्रमे भी फैलकर पूरे लोकप्रमारण प्रदेश हो जाते है । प्रश्न ३१-- लोकपूरण समुद्घातके बाद प्रवेश - विधि किस प्रकार से है ? उत्तर- - लोकपूरणं समुद्घातके बाद लौटकर प्रतरसमुद्घात होता है, फिर कपाट समुद्वात फिर दण्डसमुद्घात, इसके बाद मूलशरीरमे प्रवेश हो जाता है । प्रश्न ३२ - समुद्घातोमे समय कितना लगता है ? उत्तर - केवलिसमुद्घातमे तो ८ समय लगता है और शेषके ६ समुद्घातोमे अन्तसमय लगता है । 1 प्रश्न ३३ -- केवलिसमुद्घातमे समय कैसे लगता है ? उत्तर-- दण्डमे १, कपाटमे १, प्रतरमे १, लोकपूरणमे । १, फिर लौटते समय प्रतरमे १. कपाटमे १, दण्डमे १, फिर प्रवेशमे १, इस प्रकार आठ समय लगता है । - प्रश्न ३४ -- केबलिसमुद्घातसे क्या फल होता है ? उत्तर - केवलिसमुद्घात होनेसे शेष ३ अघातिया कर्मोकी स्थिति घटकर प्रायुस्थिति -
SR No.010794
Book TitleDravyasangraha ki Prashnottari Tika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSahajanand Maharaj
PublisherSahajanand Shastramala
Publication Year1976
Total Pages297
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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