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________________ गाथा ५० प्रश्न १६- अरहन्त शब्दके वाचक शब्द कौन-कौन है ? उत्तर-- अरहन प्रभुके वाचक कुछ शब्द ये है- अरहन्त, अरुहत, अरिहन्त, अर्हत, जिन, सकलपरमात्मा ये कुछ शब्द अरहन्तके वाचक है । प्रश्न १७- अरहन्त शब्दका निरुक्त्यर्थ क्या है ? उत्तर-- अरहन्त-- = अरि अर्थात् मोहनीयकर्म अथवा मोह, र= रत याने ज्ञाना-', वरण और दर्शनावरण अथवा अज्ञान, तथा र= रहस याने अन्तराय, इस प्रकार इन चार घातिया कर्मोको हनने वाले अथवा मिथ्यात्व अज्ञान अविरतिके नष्ट करने वाले परमात्माको अरहत कहते है। प्रश्न १८- अरहत शब्द का अर्थ क्या है ? * . उत्तर-- जो दोप और कलङ्क थे, वे नष्ट हो गये, जिनमे पुनः कभी भी न रहे, न तो याने उत्पन्न न हो उन परमात्माको अरहन्त कहते है। प्रश्न १६-- अरिहन्त शब्दसे क्या अर्थ निकलता है ? उत्तर-- अरि = शत्रु याने चारो घातिया कर्म, उन्हे नष्ट करने वाले परम-प्रात्मा अरिहन्त कहलाते है। प्रश्न २० अर्हत शब्दसे क्या भाव ध्वनित होता है ? उत्तर- जो आत्मा देव, देवेन्द्र, मनुष्य, मनुष्येन्द्र आदिके द्वारा पूजाको प्राप्त होते है, योग्य होते है उन्हे अर्हत कहते है। यह शब्द "अर्ह पूजाया" धातुसे बना है और वे साक्षात् पूजाको प्राप्त होते है। प्रश्न २१- 'जिन' शब्दसे क्या भाव ध्वनित होता है ? । · · उत्तर-- रागादि शत्रून् अज्ञानाद्यावरणानि जयतीति निनः, जो रागादि शत्रुवोको जीते व अज्ञानादि आवरणोको हटा ले उस परम अात्माको जिन कहते है । प्रश्न २२-- सकलपरमात्मा शब्दका क्या है ? उत्तर-- कलका अर्थ है शरीर, जो अभी शरीरसहित है, किन्तु परम प्रति पर = • उत्कृष्ट मा = ज्ञानलक्ष्मी करि युक्त आत्मा है उन्हे सकलपरमात्मा कहते है। - प्रश्न २३- उत्कृष्ट ज्ञानलक्ष्मीका क्या अर्थ है ? उत्तर- सम्पूर्ण ज्ञान याने सर्वज्ञता जिसमे लोकालोकवर्ती व त्रिकालवर्ती सर्वपदार्थ ज्ञात होते रहते है, यह उत्कृष्ट ज्ञानलक्ष्मीका अर्थ है ।। प्रश्न २४- कोई भी प्रात्मा सर्वज्ञ नही पाया जाता है, फिर सर्वज्ञता कैसी ? उत्तर- सर्वज्ञ क्या इस देशमे व इस कालमे नही पाया जाता या सर्व देशमे व सर्वकालमे नही पाया जाता-इस बातका तो विचार करो। .
SR No.010794
Book TitleDravyasangraha ki Prashnottari Tika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSahajanand Maharaj
PublisherSahajanand Shastramala
Publication Year1976
Total Pages297
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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