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________________ गाथा ४१ ०२७ उदयाभावी क्षय व सदवस्था रूप उपशम एवं सम्यक्प्रकृतिका उदय होनेपर जो सम्यक्त्व प्रकट होता है उसे क्षायोपशमिक सम्यक्त्व कहते है । इसका दूसरा नाम वेदकसम्यक्त्व है । द्वितीयोपणम या क्षायिक सम्यक्त्व होनेके अति निकट पूर्व क्षायोपशमिक सम्यक्त्वमे, इन प्रकृ तियोकी कुछ और विशिष्ट अवस्था होती है । प्रश्न ४- क्षायिकसम्यक्त्व किसे कहते है ? उत्तर-- अनन्तानुबन्धी ४ कषाय, मिथ्यात्व, सम्यग्मिथ्यात्व और सम्यक्प्रकृति, इन सात प्रकृतियोके क्षय होनेपर 'नो सम्यक्त्व प्रकट होता है उसे क्षायिकसम्यक्त्व कहते है । प्रश्न ५-- आज्ञासम्यक्त्व किसे कहते है ? उत्तर- केवल वीतराग देवकी आज्ञाके अनुसार तत्त्वोमे रुचि होनेको आज्ञासम्यक्त्व कहते है। प्रश्न ६.- मार्गसम्यक्त्व किसे कहते हैं ? उत्तर-बाह्याभ्यन्तर परिग्रहसे रहित निर्दोष निर्ग्रन्थ मार्ग देखकर तत्त्वमे रुचि होने को मार्गसम्यक्त्व कहते है। प्रश्न ७-उपदेशसम्यक्त्व किसे कहते है ? उत्तर- तीर्थंकरादि महापुरुषोके चरित्र सुनकर अथवा उपदेश सुनकर तत्त्वमे रुचि होनेको उपदेशसम्यक्त्व कहते है। प्रश्न ८-अर्थसम्यक्त्व किसे कहते है ? उत्तर- किसी पदार्थको देखकर या किसी उपदेशके अर्थ या दृष्टान्तादिका अनुभव करके तत्त्वमे रुचि होनेको अर्थसम्यक्त्व कहते है। प्रश्न :- बीजसम्यक्त्व किसे कहते है ? उत्तर-- शास्त्रमे प्ररूपित गणित नियमोको या बोजपदोके तात्पर्यको जानकर तत्त्वमे रुचि होनेको बीजसम्यक्त्व कहते है। प्रश्न १०-- सक्षेपसम्यक्त्व किसे कहते है ? उत्तर- पदार्थोको सक्षेपसे ही जानकर तत्त्वमे रुचि होनेको सक्षेपसम्यक्त्व कहते है। प्रश्न ११-सूत्रसम्यक्त्व किसे कहते है ? उत्तर-साधुवोकी चारित्रविधि बताने वाले प्राचारसूत्रको सुनकर तत्त्वमे रुचि होने को सूत्रसम्यक्त्व कहते है। प्रश्न १२-विस्तारसम्यक्त्व किसे कहते है ? उत्तर- समस्त श्रुतको मुनकर तन्वमे रुचि होनेको विस्तारसम्यक्त्व कहते है ? प्रश्न १३- अवगाढसम्यक्त्व किसे कहते है ?
SR No.010794
Book TitleDravyasangraha ki Prashnottari Tika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSahajanand Maharaj
PublisherSahajanand Shastramala
Publication Year1976
Total Pages297
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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