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गाया ३४
तियां तो पूर्व सवृत है श्रोर एक प्रकृति देवायु है ।
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प्रश्न ६६ - प्राठवे गुणस्थानमे देवायुका सवर क्यो होता है ?
उत्तर - श्रेणी के परिणाम इतने निर्मल होते है कि उनके कारण श्रेणियोमे किसी भी व नही होता । अन्य श्रायुकर्मोका तो सवर पहले, दूसरे व पूर्वे गुणस्थानमे बता दिया था, शेष रही देवायुका यहां सम्वर हो जाता है ।
आयुका
प्रश्न ६७ – अनिवृत्तिकरणमे कितनी प्रकृतियोका सम्वर होता है ?
उत्तर - निवृत्तिकरण गुणस्थानमे ६८ प्रकृतियोका सम्वर होता है । इनमे ६२ प्रकृतियां तो पूर्वसवृत है और ३६ प्रकृतियां ये है - ( १ ) निद्रा, (२) प्रचला, (३) हास्य, (४) रति, (५) भय, (६) जुगुप्सा, (७) देवगति, (८) पचेन्द्रियजाति, (६) वैक्रियक शरीर, (१०) वैक्रिक अगोपांग, (११) श्राहारक शरीर, (१२) आहारकागोपांग, (१३) श्रदारिक शरीर, (१४) श्रदारिकांगो पाग, (१५) निर्माण, (१६) समचतुरस्रसस्थान, (१७) स्पर्श, (१८) रस, (११) गध, (२०) वर्णनामकर्म, (२१) देवगत्यानुपूर्व्यं, (२२) अगुरुलघु, (२३) उपघात, (२४) परघात, (२५) उच्छ्वास, (२६) प्रशस्त विहायोगति, (२७) प्रत्येकशरीर, (२८) त्रस, ( २ ) वादर, (३०) पर्याप्ति, (३१) शुभ, (३२) सुभग, (३३) सुस्वर, (३४) स्थिर, (३५) श्रादेयनामकर्म, (३६) तीर्थंकरनामकर्म ।
प्रश्न ८ - नवमे गुणस्थानमे ३६ प्रकृतियोका क्यो सवर है ?
उत्तर - उपशमक अथवा क्षपक अनिवृत्तिकरण परिणामोकी विशेषताके कारण उक्त प्रकृतियोका सवर है । अपूर्वकरण परिणामोमे भी उत्तरोत्तर विशेषता थी, जिसके कारण अपूर्वकरण गुणस्थानमे ही कुछ समय पश्चात् उक्त ३६ प्रकृतियोमे से २ और कुछ समय पश्चात् ३० प्रकृतियोका संवर हो गया ।
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प्रश्न ६६ – सूक्ष्मसाम्पराय गुणस्थान में कितनी प्रकृतियोका संवर होता है ? उत्तर- दसवे गुणस्थान में १०३ प्रकृतियोका सवर होता है । इनमे ६८ प्रकृतियां तो पूर्वं सवृत हैं व ५ प्रकृतिया ये है - (१) सज्वलन क्रोध, (२) सज्वलन मान, (३) सज्वलन माया, (४) सज्वलन लोभ, (५) पुरुषवेद ।
प्रश्न ७० - दसवे गुणस्थानमे इन ५ प्रकृतियोका सम्वर क्यो है ?
उत्तर- सूक्ष्मलोभके अतिरिक्त सर्वकषायोके प्रभाव से मोहनीयकर्मेकी अवशिष्ट, इन ५ प्रकृतियोका सम्वर होता है । अनिवृत्तिकरण परिणामोकी विशेषतासे भी उक्त ५ प्रकृतियो मे से अनिवृत्तिकरण के दूसरे भागमे पुरुषवेद, तीसरे भागमे सज्वलनक्रोध, चौथे भागमे संवलन मान, पाचवे भागमे सज्वलन माया नामक मोहनीयकर्मका सम्वर हो गया था ।
प्रश्न ७१ - उपशान्तमोहमे कितनी प्रकृतियोका सम्वर है ?