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________________ १३० द्रव्यसग्रह--प्रश्नोत्तरी टीका प्रश्न १६- प्रात्मामे यदि केवलज्ञान आदि ज्ञान है तो उनका प्रावरण हो ही नहीं सकता और यदि नही है तो प्रावरण किसका हो? उत्तर- आत्मामे केवलज्ञान प्रादि शक्तिरूपसे है, कर्मके निमित्तसे वे प्रकट नही हो पाते, यही उनका प्रावरण है । प्रधन २०-- क्या ज्ञानावरणकर्म निश्चयसे ज्ञानका धात करते है ? उत्तर- एक द्रव्य दूसरे द्रव्यका किसी प्रकारका परिणामन नहीं करता, प्रतः निश्चय से कर्म ज्ञानका घात नहीं करता, किन्तु ऐसा सहज ही निमित्तनैमित्तिक सम्बध है कि कौके उदय होनेपर प्रात्मज्ञानगुणका उचित विकास नही कर पाता । उदय भी ऐसी योग्यता वालो के होता है। प्रश्न २१-- दर्शनावरणकर्म किसे कहते है ? । उत्तर-- जो प्रात्माके दर्शनगुणका विकास न होने दे, उसे दर्शनावरणकर्म कहते है। प्रश्न २२-- दर्शनावरणकर्मके कितने भेद है ? उत्तर-- दर्शनावरणकर्मके ६ भेद है- (१) चक्षुर्दर्शनावरण, (२) अचक्षुर्दर्शनावरण, (३) अवधिदर्शनावरण, (४) केवलदर्शनावरण, (५) निद्रा, (६) निद्रानिद्रा, (७) प्रचला, । (6) प्रचलाप्रचला, (E) स्त्यानगृद्धि। प्रश्न २३- चक्षुर्दर्शनावरणकर्म किसे कहते है ? उत्तर-- जो कर्म चक्षुर्दर्शनको न होने दे उसे चक्षुर्दर्शनावरणकर्म कहते है । प्रश्न २४-- अचक्षुर्दर्शनावरणकर्म किसे कहते है ? उत्तर-- जो कर्म प्रचक्षुदर्शन न होने दे उसे अचक्षुर्दर्शनावरणकर्म कहते है । 'प्रश्न २५----अवधिदर्शनावरणकर्म किसे कहते है ? उत्तर-जो कर्म अवधिदर्शन न होने दे उसे अवधिदर्शनावरणकर्म कहते है । प्रश्न २६-केवलदर्शनावरणकर्म किसे कहते है ? उत्तर-जो कर्म केवलदर्शनको प्रकट न होने दे उसे केवलदर्शनावरणकर्म कहते है। प्रिश्न २७-निद्रादर्शनावरणकर्म किसे कहते है ? उत्तर-जिस कर्मके उदयसे साधारण नीद आवे, जहा दर्शन अथवा स्वसवेदन न हो सके उस कर्मको निद्रादर्शनावरणकर्म कहते है। प्रश्न २८-निद्रानिद्रादर्शनावरणकर्म किसे कहते है ? . rad उत्तर-जिस कर्मके उदयसे गाढ निद्रा आवे, बीचमे जगकर भी पुन. सो जावे, J जिससे दर्शन अथवा स्वसम्वेदन नही हो सकता उसे निद्रानिद्रादर्शनावरणकर्म कहते है। प्रश्न २६-प्रचलादर्शनावरणकर्म किसे कहते है ? स्पर्सन,रसमा- ओननन (नसमन्धी कानसेपहिलेकाले ..' • न मकहले।
SR No.010794
Book TitleDravyasangraha ki Prashnottari Tika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSahajanand Maharaj
PublisherSahajanand Shastramala
Publication Year1976
Total Pages297
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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