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________________ द्रव्यसंग्रह-प्रश्नोत्तरी टीका प्रश्न ६२-सशी जीवोकी कौनसी भाषा अनुभयवचन रूप है ? उत्तर- प्रश्न, प्राज्ञा, निमन्त्रण प्रादिके शब्द अनुभयवचन कहलाते है। प्रश्न ६३- औदारिक काययोग किसे कहते है ? उत्तर- मनुष्य व तिर्यचोके शरीरको प्रौदारिक काय कहते हैं, उस कायके निमित्तसे होने वाले योगको औदारिक काययोग कहते है। . प्रश्न ६४-- औदारिक मिश्रकाययोग किसे कहते हैं ? उत्तर- औदारिक मिश्रकायके निमित्त होने वाले योगको प्रौदारिक मिश्रकाययोग कहते प्रश्न १५-- प्रौदारिक मिश्रकाय कब होता है ? Sar'. उत्तर- कोई जीव मरकर मनुष्य या तिर्यंचगतिमे जावे । वहाँ जन्मस्थानपर पहुचते) ही यह जीव औदारिक वर्गणामोको शरीररूपसे ग्रहण करने लगता है, किन्तु जब तक शरीर पर्याप्ति (शरीर बनानेकी शक्ति) पूर्ण नहीं हो पाती है तब तक उस शरीरको औदारिक मिश्रकाय कहते है । इस अपर्याप्त अवस्थानमे कार्माणवर्गणा और औदारिक वर्गणा दोनोका सम्मि-) लित ग्रहण है। प्रश्न ६६- वैक्रियककाययोग किसे कहते है ? उत्तर-देव व नारकियोके शरीरको वैक्रियककाय कहते है, उसके निमित्तसे होने वाले योगको वैक्रियककाययोग कहते है । प्रश्न ६७-वक्रियकमिश्रकाययोग किसे कहते है ? उत्तर- वैक्रियकमिश्रकायके निमित्तसे होने वाले योगको वैक्रियकमिश्रकाययोग कहते प्रश्न :-वैक्रियकमिश्रकाय कब होता है ? उत्तर-कोई मनुप्य या तिर्यञ्च मरकर देव या नरकगतिमे जावे । वहाँ जन्मस्थान | पर पहुचते ही जीव वैक्रियक वर्गणाप्रोको शरीर रूपसे ग्रहण करने लगता है । किन्तु जब तक शरीर पर्याप्ति (शरीर रचना होनेकी शक्ति) पूर्ण नही हो पाती तब तक इस शरीरको प्रौदा(रिक मिश्रकाय कहते है । इस अपर्याप्ति अवस्थानमे कार्माणवर्गणा और वैक्रियकवर्गणा-इन | दोनोका सम्मिलित ग्रहण है। प्रश्न ६६-आहारककाययोग किसे कहते है ? उत्तर- प्रमत्तविरत छठे) गुणस्थानवर्ती आहारकऋद्धिधारी मुनिके जब कोई सूक्ष्म तत्त्वमे शका उत्पन्न होती है तब उनके मस्तकसे एक हाथका, धवल, पवित्र, अव्याघाती आहारक शरीर निकलता है । यह पुतला केवली या श्रुतकेवलीवे दर्शन करके वापिस मस्तक इसे अमरक यमुधात कहते
SR No.010794
Book TitleDravyasangraha ki Prashnottari Tika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSahajanand Maharaj
PublisherSahajanand Shastramala
Publication Year1976
Total Pages297
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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