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________________ १२५ गाया ३० (८) अनुभयवचनयोग, (९) औवारिक काययोग, (१०) औदारिक मिश्रकाययोग, (११) वैकियककाययोग, (१२) वैक्रियकमिश्रकाययोग, (१३) आहारककाययोग, (१४) मोहारकमिश्रकाययोग, (१५) कार्माणकाययोग । प्रश्न ८२-- सत्यमनोयोग किसे कहते है ? उत्तर-- सत्यवचनके कारणभूत मनको सत्यमन कहते है और सत्यमनके निमित्तसे होने वाले योगको सत्यमनोयोग कहते है। प्रश्न ८३-- असत्यमनोयोग किसे कहते है ? उत्तर-असत्यवचनके कारणभूत मनको असत्यमन कहते है और असत्य मनके निमित्तसे होने वाले योगको असत्यमनोयोग कहते है । प्रश्न ८४-- उभयमनोयोग किसे कहते है ? उत्तर-- उभय (सत्य व असत्य मिले हुये) वचनके कारणभूत मनको उभयमन कहते है और उभयमनके निमित्तसे होने वाले योगको उभयमनयोग कहते है । प्रश्न ८५-- अनुभयमनोयोग किसे कहते है ? उत्तर--अनुभय अर्थात् जो न सत्य है और न असत्य, ऐसे वचन के कारणभूत मनको अनुभयमन कहते है और अनुभयमनके निमित्तसे होने वाले योगको अनुभयमनोयोग कहते है। प्रश्न ८६.- सत्यवचनयोग किसे कहते हैं ? । उत्तर-- सत्यवचनके निमित्तसे होने वाले योगको सत्यवचनयोग कहते है। प्रश्न ८७-असत्यवचनयोग किसे कहते है ? उत्तर- प्रसत्य वचनके निमित्तसे होने वाले योगको असत्यवचन योग कहते है। प्रश्न ८८- उभयवचनयोग किसे कहते है ? उत्तर--सत्य व असत्य मिश्रित वचनके निमित्तसे होने वाले योगको उभयवचनयोग कहते है। प्रश्न ८६- अनुभयवचनयोग किसे कहते है ? उत्तर- अनुभय (जो न सत्य है और न असत्य है) वचनके निमित्तसे होने वाले योग को अनुभयवचनयोग कहते है। प्रश्न ६०- दिव्यध्वनिके शब्द किस वचनरूप है ? उत्तर-- दिव्यध्वनिके शब्द अनुभयवचन है और ये ही शब्द श्रोतावोके कर्णमे प्रविष्ट होनेपर सत्यवचन कहलाते है । निरचनयकता सत्यवचन्या प्रश्न ६१-- द्वीन्द्रियादि प्रसज्ञी जीवोके शब्द किसे वचनरूम है? उत्तर-- द्वीन्द्रियादि असंज्ञी जीवोके शब्द अनुभयवचनरूप है।
SR No.010794
Book TitleDravyasangraha ki Prashnottari Tika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSahajanand Maharaj
PublisherSahajanand Shastramala
Publication Year1976
Total Pages297
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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